Congress President Election: कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर नामांकन भरने की अंतिम तारीख 30 सितंबर थी। नामांकन की रेस में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह का भी नाम शामिल था। लेकिन आखिरी वक्त पर मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आया, जिसके बाद दिग्विजय सिंह ने अपना नाम वापस ले लिया। वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने साफ तौर पर कह दिया है कि उनका वोट खड़गे को जाएगा।
दरअसल एक प्रेस कांफ्रेंस में मध्य प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा, “नामांकन के आखिरी दिन दिग्विजय सिंह ने मुझे सुबह साढ़े आठ बजे फोन कर बताया था कि वो अध्यक्ष पद चुनाव में नहीं उतर रहे।” कमलनाथ ने बताया कि चुनाव में न उतरने को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि खड़गे वरिष्ठ नेता हैं, और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, इसलिए मैं इस चुनाव में नामांकन नहीं करूंगा।
कमलनाथ ने कहा, “दिग्विजय सिंह से मेरी साढ़े आठ बजे के बाद से कोई बात नहीं हुई और मेरा वोट खड़गे जी को जाएगा।” बता दें कि दिग्विजय सिंह ने 29 सितंबर को नामांकन फॉर्म भी खरीद लिया था। लेकिन आखिरी वक्त पर खड़गे का नाम सामने आने के बाद दिग्विजय सिंह ने अपने पैर पीछे खींच लिए।
कांग्रेस के लिए काम किया और करता रहूंगा:
दिग्विजय सिंह ने पार्टी के प्रति अपना समर्पण जाहिर करते हुए कहा है कि मैंने पूरी जिंदगी कांग्रेस के लिए काम किया और आगे भी निष्ठा के साथ करता रहूंगा। मैंने हमेशा दलित-आदिवासियों और गरीबों की आवाज उठाई, सांप्रदायिक सौहार्द खराब करने वालों के खिलाफ लड़ता रहा। दिग्विजय सिंह ने कहा कि गांधी-नेहरू परिवार के लिए मेरी प्रतिबद्धता है। इनसे मैंने कभी समझौता नहीं किया।
वहीं कमलनाथ का भी नाम अध्यक्ष चुनाव में सामने आया था लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश न छोड़ने की अपनी मंशा साफ की थी। उनका कहना था कि अभी उनका ध्यान मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने पर है। कमलनाथ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुझसे भी पार्टी के कई नेताओं ने अध्यक्ष पद चुनाव में फॉर्म भरने के लिए कहा था।
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ ही केरल से कांग्रेस सांसद और जी-23 के नेता शशि थरूर के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। वहीं झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने भी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन किया था लेकिन एक अक्टूबर को कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष, मधुसूदन मिस्त्री ने जानकारी दी कि निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के चलते, जिसमें हस्ताक्षर से संबंधित मामला था, केएन त्रिपाठी के फॉर्म को खारिज कर दिया गया।