तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Expression) को बढ़ाने और मतभेदों की स्वीकार्यता को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के प्रति जनता को आश्वास्त करने की मांग की। थरूर ने यह पत्र हाल ही में पीएम मोदी को मॉब लिंचिंग पर पत्र लिखने वाली 49 हस्तियों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को लेकर लिखा था।

थरूर ने किया चिट्ठी लिखने वालों का समर्थनः 23 जुलाई को बिहार के मुजफ्फरपुर में पुलिस को यह चिट्ठी सौंपी गई थी। इसके बाद इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्म निर्माता अदूर गोपालाकृष्णन और अनुराग कश्यप समेत 49 लोगों के खिलाफ राजद्रोह और शांतिभंग करने का मामला दर्ज किया गया। थरूर ने लिखा कि इन लोगों ने मुद्दे को चर्चा में लाकर सही काम किया।

‘मन की बात’ पर कसा तंजः उन्होंने कहा, ‘भारतीय नागरिक होने के नाते हम सभी को उम्मीद है कि हममें से कोई भी निडर होकर राष्ट्रीय महत्व का कोई भी मसला आपके ध्यान में लाएं ताकि आप उन्हें देख सकें। हम मानते हैं कि आप भी अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करेंगे ताकि ‘मन की बात’ का अर्थ ‘मौन की बात’ न बन जाए।’ उन्होंने प्रधानमंत्री को यूएस कांग्रेस की 2016 में हुई वह जॉइंट मीटिंग का वह संबोधन भी याद दिलाया जिसमें पीएम ने श्रोताओं से कहा था, ‘इस सरकार के लिए संविधान एक पवित्र किताब है।’

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का भी जिक्र कियाः उन्होंने पूछा, ‘आपके बयान और आपकी सरकार के कुछ कामों में विरोधाभास है। क्या इसका मतलब यह है कि आधारभूत मुद्दों को लेकर आपकी राय बदल गई?’ थरूर ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट की प्रेशर कुकर वाली टिप्पणी भी याद दिलाई।

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लोगों से की अपीलः उन्होंने अपनी चिट्ठी में नये भारत की अवधारणा, सरकार की आलोचना, सरकार की नाकामियां उजागर करने वालों को दुश्मन समझना, ऐसे पत्रकारों को गिरफ्तार करना जैसी कई बातों का जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने हर उस शख्स से प्रधानमंत्री को ऐसी चिट्ठी लिखने के लिए कहा जो अभिव्यक्ति की आजादी में यकीन रखता है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19 को मजबूत करने की वकालत की।