Written by Alok Deshpande
Bharat Jodo Yatra In Maharashtra: कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) को महाराष्ट्र में अभी एक हफ्ता हुआ हैं। हर बार की तरह दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस पार्टी अंदरूनी कलह और निष्क्रियता की आंतरिक समस्याओं को हल करने के लिए काम कर रही है वहीं नागरिक समाज समूह और व्यक्ति स्वयं पार्टी से जुड़ने के लिए यात्रा में शामिल हो रहे हैं।
देश के ताने-बाने को फिरसे बनाने की कोशिश
मुंबई के एक व्यापारी और सामाजिक टिप्पणीकार दर्शन मोंडकर (Darshan Mondkar) ने कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मुझसे पूछा कि क्या मैं कांग्रेस समर्थक हूं। मैंने ना कहा और उनसे कहा कि मैं संविधान की खातिर यात्रा में चल रहा हूं। उन्होंने जवाब दिया और कहा कि हम दोनों भारत के लिए चल रहे हैं जो अच्छी बात है। मोंडकर ने आगे कहा कि मैं पार्टी से संबंधित नहीं हूं। लेकिन हमारे देश ने अपने सामाजिक ताने-बाने को इस हद तक बिगड़ते हुए कभी नहीं देखा जैसा अब हो रहा है। मैं इस यात्रा में शामिल हुआ हूं क्योंकि मैं उस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहता था जिसके जरिए यह सब ठीक किया जा सकता है।
खोया हुआ जन संपर्क फिरसे हासिल करने का प्रयास
भारत जोड़ो यात्रा को लेकर पार्टी के मीडिया प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने अपने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने अपना जन संपर्क खो दिया था। हम इस यात्रा के माध्यम से अब इसे फिर से खोज रहे हैं।
राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल एक नेता कहते हैं कि राहुल गांधी पैदल चलते हुए व्यक्तियों- बच्चों, युवाओं, महिलाओं और वृद्ध किसानों से मिल रहे हैं। वह लोगों की समस्याओं को सुनते हैं। उसके हल पर बात करते हैं। यात्रा के दौरान राहुल गांधी समाज के हर वर्ग के साथ बातचीत करने का प्रयास कर रहे हैं।
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“यात्रा ने पार्टी में जान फूंक दी”
राहुल गांधी समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यह यात्रा सिर्फ चुनाव जीतने के मकसद से नहीं की जा रही है। इस यात्रा ने राज्य कांग्रेस इकाई में जान फूंक दी है, पार्टी के लिए समर्थन को पुनर्जीवित किया है और कुछ समय के लिए आपस में लड़ रहे गुटों को एक साथ लाने में मदद की है। सूत्रों के मुताबिक हर जिले को एक खास दिन दिया गया है जिस दिन उन्हें यात्रा में शामिल होने के लिए लोगों को लाना होता है। 12 नवंबर को कोल्हापुर से पहलवानों, नर्तकियों और गाथागीतों के एक समूह सहित हजारों लोग मार्च में शामिल हुए जबकि अगले दिन सांगली के इतने ही लोग मार्च में देखे जा सकते थे।