अनामिका सिंह

गर्मी बढ़ने के साथ ही लोगों को प्यास अधिक लगती है। ऐसे में पानी के विकल्प के तौर पर लोग गन्ने का रस, फलों का रस, ट्राली पर बेचने वाले पानी का प्रयोग करने लगते हैं। लोग स्वास्थ्य की अनदेखी कर खुले में बिक रहे जूस व फल खा-पी लेते हैं। यही वजह है कि पिछले 15 दिनों से दिल्ली के अस्पतालों में डायरिया के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

जिसके चलते एमसीडी ने ऐसे फेरीवालों, रेहड़ी और ठेलेवालों के खिलाफ अभियान चलाकर तकरीबन एक हजार से अधिक चालान काटे हैं। एमसीडी के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एमसीडी ने अप्रैल माह में खुले में बिकने वाले फल, जूस को लेकर आदेश भी जारी किया था, क्योंकि इनके सेवन से डायरिया सहित कई पेट के रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान पाया कि बहुत से विक्रेता धूल और मक्खियों के संपर्क में आने वाले भोजन व पेय पदार्थ को बेच रहे हैं।

यही नहीं कोर्ट के पूर्व निर्देशों पर शिकंजी, लस्सी, जलजीरा, रूहअफजा, कांजी की बोतले, गन्ने का रस बेचने वालों पर एमसीडी लगातार छापेमारी कर कार्रवाई कर रही है और अवैध सामग्रियों को जब्त कर रही है। एमसीडी अधिकारी ने बताया कि छापामारी में पाया कि कुछ लोग दूषित पानी का प्रयोग भी शिकंजी, लस्सी, जलजीरा बनाने में कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

केशवपुरम जोन में मिला सर्वाधिक प्रदूषित पानी

एमसीडी के अनुसार, सबसे ज्यादा प्रदूषित ट्राली व घरों में पेयजल केशवपुरम जोन में मिला है। यहां अभी तक 57 चालान काटे जा चुके हैं। इसके अलावा सेंट्रल जोन में 10, सिविल लाइन जोन में 12, शाहदरा दक्षिण जोन 50, नरेला जोन 45, नजफगढ़ जोन 7, सिटी एसपी जोन 5, करोल बाग जोन में 8 चालान काटे गए हैं। वहीं बात अगर वार्षिक आंकड़े की करें तो दूषित पेयजल बेचने के मामलों में 2022 में 722 कुल चालान, 2023 में 1037 चालान व 2024 में अभी तक 218 चालान काटे गए हैं।