उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पुराने स्वरूप को अत्यंत ‘खूबसूरत’ मानते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने शनिवार 19 (मार्च) को कहा कि लखनऊ में गालियां भी बहुत खूबसूरती से दी जाती हैं। न्यायमूर्ति ठाकुर यहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के देश के सबसे बड़े और अत्याधुनिक नवनिर्मित न्यायालय भवन के लोकार्पण के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मालूम है कि मेरे वालिद …. कहते थे कि लखनऊ के अदब का मुकाबला नहीं। वहां तो गालियां भी बड़ी खूबसूरती से दी जाती हैं।’’

न्यायमूर्ति ठाकुर ने हालांकि कहा कि पुराना लखनऊ जो उनके ख्वाबों का लखनऊ था, वो आज नहीं है। उन्होंने कहा कि लखनऊ की शामें भी हसीं हुआ करती थीं। (लेकिन) वक्त की रफ्तार ने बहुत कुछ बदल दिया है और बदलना भी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पुराने खयालात का आदमी हूं लेकिन अगर मुझे कहा जाए कि दोनों (पुराने और नये लखनऊ) में कौन सा ज्यादा अजीज है तो मैं पुराने को मानूंगा। यहां का अदब, शायरी, सादगी और सम्मान … वो शहर (पुराना लखनऊ) बहुत खूबूसरत था।’’

छुट्टियों में भी निपटायें मुकदमे : न्यायमूर्ति ठाकुर

भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने कहा कि इंसाफ को लेकर जनता की उम्मीदें बढ़ गयी हैं। उन्होंने इस कड़ी में सुझाव दिया कि गर्मी की छुट्टियों में यदि दोनों पक्षों के वकील आग्रह करें, तो लंबित मुकदमों की सुनवाई हो और उनका निपटारा किया जाए।

न्यायमूर्ति ठाकुर ने यहां 1300 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के नये भवन का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘एक और आग्रह है कि आपकी (अदालतों की) छुटिटयां होती हैं… गर्मियों की। आप दोनों वकील (दोनों पक्ष के वकील) आग्रह करें कि हम इस मुकदमे पर छुट्टियों में बहस को तैयार हैं। मेरा आग्रह चीफ जस्टिस (उच्च न्यायालय) से भी है कि वे (वकील) राजी हों तो आप वो मुकदमा लगवा दें। जज साहबान से भी आग्रह है कि आप उसकी सुनवाई कर निपटा करें।’’

उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना के 150वें वर्ष का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आग्रह करूंगा कि आप 150वें साल में जो जश्न मना रहे हैं, उसमें आप तय कीजिए कि कोई खास बात भी हो। साल के अंत में जब इस जश्न का समापन करें तो फक्र से कह सकें कि हमने इस साल में इतने हजार या इतने लाख केस (मामले) निपटाये।’’

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि तमाम चीजें जो इंसाफ दिलाने के लिए लाजमी हैं (नये भवन में) मुहैया की गयीं हैं। 1300 करोड़ रुपए जो खर्च हुआ, बहुत बड़ी रकम है। ये करदाताओं का धन है। अवाम का पैसा है। ये सब पैसा खर्च किया गया है, इस उम्मीद से कि जज साहबान और वकील पूरी मेहनत और ईमानदारी से लोगों को इंसाफ दिलाएंगे।

राजधानी के ‘पॉश’ इलाके गोमती नगर में उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के नये भवन की प्रशंसा करते हुए न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि कोई भी इमारत इसके मुकाबले नहीं है। उच्चतम न्यायालय की इमारत भी इतनी खूबसूरत नहीं है। ‘‘काश ये बिल्डिंग दिल्ली में होती। हम फौरन काबू कर लेते। या तो बदल लेते उच्चतम न्यायालय के भवन से। मगर ये मुमकिन नहीं। हम दिल्ली से यहां नहीं आ सकते और ये बिल्डिंग दिल्ली नहीं जा सकती।’’

उन्होंने कहा कि अब लोगों की इंसाफ से उम्मीदें बढ़ गयी हैं। पुराने वक्त में कहा जा सकता था कि हमारे पास कोर्ट रूम नहीं है, चैंबर नहीं है, बार रूम नहीं है इसलिए परफॉरमेंस (प्रदर्शन) अच्छा नहीं है। न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि आपको ये जानकर अचम्भा होगा कि 66 साल के बावजूद उच्चतम न्यायालय में कोई बार रूम नहीं था। ‘‘मैंने दो हफ्ते पहले अपना रिकॉर्ड रूम शिफ्ट कर एक बार रूम बनाया।’’

उन्होंने कहा कि अब आपको शिकायत नहीं हो सकती कि आपके पास ये नहीं है, वो नहीं है। आपके पास कोर्ट रूम में एयरकंडीशन नहीं है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ सहित कई न्यायविद, जज और अधिवक्ता शामिल हुए।

नवनिर्मित भवन पर 1,386 करोड़ रुपये की लागत आयी है और इसका परिसर 40.2 एकड़ में फैला है। इसमें आधुनिक तकनीक से लैस अदालत कक्ष, विशिष्ट शैली का कांफ्रेंस हाल और पुस्तकालय, बेहतरीन लाइटिंग सिस्टम और इंटीरियर, वकीलों और टाइपिस्टों के लिए अलग ब्लाक, अत्याधुनिक जिम, फीजियोथेरेपी और योग केंद्र, पांच हजार चारपहिया एवं 15 हजार दोपहिया गाड़ियों की पार्किंग का इंतजाम हैं। इसके अलावा परिसर में रेलवे आरक्षण केंद्र, बैंक, पुलिस चौकी, पुलिस बैरक और फायर स्टेशन भी होगा।