वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर को मंगलवार (7 जून) को धमकी भरी चिट्ठी मिली है। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। रवि कुमार दिवाकर को इस्लामिक आगाज मूवमेंट की ओर से धमकी भरा पत्र रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया है। जिसके बाद उनकी सुरक्षा में 9 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।
रवि दिवाकर ने इसकी जानकारी पत्र के जरिए लखनऊ स्थित अपर प्रमुख सचिव (गृह ) को देकर आवश्यक कार्यवाही का अनुरोध किया है। 7 जून 2022 की तारीख वाले इस धमकी भरे पत्र की एक कॉपी यूपी के पुलिस महानिदेशक और वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को भी भेजी गई है। वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ने बताया कि आज दोपहर एक पंजीकृत डाक से धमकी भरा पत्र मिलने के बाद रवि कुमार दिवाकर की सुरक्षा के लिए कुल 9 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। जिला जज की सुरक्षा में कुल 10 पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। उनके लखनऊ और वाराणसी के आवास की सुरक्षा के लिए नौ अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है।
पुलिस कमिश्नर ने की पुष्टि: वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने रवि दिवाकर को धमकी भरा पत्र रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिये मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा, “आज दोपहर को ACJM रवि दिवाकर जी को एक पत्र रजिस्टर्ड पोस्ट से मिला है, जिसमें कुछ और कागजात भी संलग्न है, इसकी जानकारी उनके द्वारा दी गई है। डीसीपी वरुणा जोन आदित्य लांग्हे खुद इस मामले की जांच कर रहे हैं। साथ ही क्राइम ब्रांच व कैंट थाने की पुलिस को भी जांच के लिए लगाया गया है। मामले की जांच चल रही है।”
न्यायाधीश भी भगवा रंग में सराबोर: जज रवि कुमार दिवाकर ने बताया कि एक रजिस्टर्ड लेटर मेरे पास इस्लामिक आगाज मूवमेंट, नई दिल्ली के नाम से आया है। लेटर में लिखा है, “अब न्यायाधीश भी भगवा रंग में सराबोर हो चुके हैं। फैसला उग्रवादी हिंदुओं और उनके तमाम संगठनों को प्रसन्न करने के लिए सुनाते हैं। इसके बाद ठीकरा विभाजित भारत के मुसलमानों पर फोड़ते हैं। आप न्यायिक कार्य कर रहे हैं, आपको सरकारी मशीनरी का संरक्षण प्राप्त है। फिर आपकी पत्नी और माताश्री को डर कैसा है ? आजकल न्यायिक अधिकारी हवा का रुख देख कर चालबाजी दिखा रहे हैं।”
पत्र में आगे लिखा है, “आपने वक्तव्य दिया था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का निरीक्षण एक सामान्य प्रक्रिया है। आप भी तो बुतपरस्त (मूर्तिपूजक) हैं। आप मस्जिद को मंदिर घोषित कर देंगे। कोई भी काफिर मूर्तिपूजक हिंदू न्यायाधीश से मुसलमान सही फैसले की उम्मीद नहीं कर सकता।” गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी की अनुमति देने वाले जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले के दौरान भी कहा था कि उनका परिवार उनकी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित था क्योंकि एक सामान्य नागरिक मामले को एक असाधारण मुद्दे में बदल दिया गया है।