जहां एक तरफ अधिकांश नेता अपने कार्यकाल में अधिक से अधिक धन इकट्ठा करने की फिराक में लगे रहते हैं और अपने बाल-बच्चों को वीआईपी ट्रीटमेंट के साथ आरामदायक जिंदगी देना चाहते हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में भाजपा के एक विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने बेटे का दाखिला प्राइवेट स्कूलों की चकाचौंध से दूर सरकारी स्कूल में कराया है। पाथलगांव से विधायक और भाजपा के संसदीय सचिव शिवशंकर पैकरा ने अपने बेटे का नामांकन जसपुर जिले के पाथलगांव प्रखंड के बनगांव बी स्थित शासकीय प्राथमिक शाला की पहली कक्षा में शनिवार (09 जुलाई) को कराया है।
जसपुर आदिवासी बहुल क्षेत्र है और अभी भी यह इलाका विकास को तरस रहा है। पैकरा ने बताया कि इससे पहले भी उनकी दो बेटियां सरकारी स्कूल में पढ़ रही हैं। बता दें कि कुछ दिन पहले ही छत्तीसगढ़ में तैनात एक आईएएस अफसर ने भी मिसाल पेश करते हुए पांच साल की अपनी बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक बलरामपुर के कलेक्टर अवनीश शरण ने अपनी बेटी का दाखिला बलरामपुर के सरकारी स्कूल में कराया था। जब ये खबर मीडिया में आई तो सभी ने उस कलेक्टर की काफी तारीफ की। शरण की तारीफ जिले में शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए बी की जाती है।
अमूमन यह देखा गया है कि कोई भी अधिकारी या नेता पद संभालते ही वीआईपी कल्चर में चला जाता है, जहां उसका संपर्क आम आदमी से टूट जाता है। इसके अलावा वो हर सुख-सुविधा को हासिल करने के लिए वीआईपी बन जाता है। उनके बच्चों की पढ़ाई महंगे और प्राइवेट स्कूलों में होती है, इलाज भी महंगे और प्राइवेट स्कूलों में होता है। लेकिन इस अधिकारी और भाजपा नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीआईपी कल्चर को खत्म करने की मुहिम को बल दिया है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने ही देश में वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए सरकारी गाड़ियों पर लगी लाल-नीली-पीली बत्तियों को हटाने का निर्देश दिया था और इस संबंध में संसद में मोटर व्हिकल एक्ट में संशोधन बिल पास कराया था।