छत्तीसगढ़ में सर्व आदिवासी समाज (SAS) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम के नहीं पहुंचने पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। यह सर्व आदिवासी समाज आदिवासी समूहों का सहयोगी संगठन है। कार्यक्रम का आयोजन विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर किया गया था। शुक्रवार को रायपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अंतिम समय में इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि साय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के इशारे पर आदिवासी कार्यक्रम का बहिष्कार किया। सीएम साय यहां मुख्य अतिथि थे। उनको अपने आधिकारिक कार्यक्रम के तहत इसमें शामिल होना था, लेकिन वे इसमें शामिल नहीं हुए। इसकी जगह वे बेमेतरा जिले में डिप्टी अरुण साव की बहन के परिवार में अपनी संवेदना व्यक्त करने चले गए, जिनके बेटे की हाल ही में निधन हो गया था।
डिप्टी सीएम ने भी अपना कार्यक्रम स्थगित कर दिया
महत्वपूर्ण बात यह है कि उसी दिन होने वाले एक अन्य आदिवासी कार्यक्रम, जिसका आदिवासी मामलों के मंत्री रामविचार नेताम द्वारा उद्घाटन करना था, उसको भी स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने एक बयान में साय और नेताम पर निशाना साधा। बघेल ने कहा, “विशिष्ट आदिवासी सांस्कृतिक पहचान हमेशा आरएसएस को चुभती रही है और इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया। इस मान्यता के कारण ही कांग्रेस सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित किया था।”
उन्होंने शुक्रवार को आरएसएस से जुड़े संगठन अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा जारी एक बयान का हवाला दिया। इस बयान में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने कहा कि भारत का विश्व आदिवासी दिवस से कोई संबंध नहीं है “क्योंकि हमारा मानना है कि भारत में रहने वाले सभी नागरिक इस देश के मूल निवासी हैं।”
संस्था ने इस दिन के उत्सव को “कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियों और ईसाई मिशनरियों की साजिश” भी कहा। बघेल ने दावा किया कि एसएएस कार्यक्रम से साय की अनुपस्थिति के पीछे यही कारण था। शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष और बस्तर के आदिवासी नेता दीपक बैज ने बघेल के रुख को दोहराया।
दूसरी तरफ बघेल पर पलटवार करते हुए मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि कांग्रेस “आदिवासियों को बरगला रही है।” उन्होंने कहा, “हमारी सरकार आदिवासियों के लिए उनसे कहीं बेहतर काम कर रही है। हम छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती धूमधाम से मनाएंगे और आदिवासियों में स्वाभिमान जगाएंगे।”
सर्व आदिवासी समाज (SAS) का नेतृत्व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम कर रहे हैं, जिन्होंने नवंबर 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले हमार राज पार्टी बनाई थी। अरविंद के राजनीतिक झुकाव के बावजूद, एसएएस को विभिन्न दलों के नेताओं से मिलकर बना एक व्यापक आदिवासी मंच माना जाता है। उदाहरण के लिए शुक्रवार को इसके कार्यक्रम में वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने भाग लिया, जो पिछले साल बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नंदकुमार ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सब कैटेगरी पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना की। यह मुद्दा एसएएस नेताओं के बीच जोर पकड़ रहा है।
सीएम साय के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने के बारे में अरविंद ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा: “मुझे साय और रामविचार नेताम से पूरी सहानुभूति है। मुझे लगता है कि वे असहाय हैं। उन्हें कार्यक्रम से दूर रहना चाहिए था, लेकिन वे कोई ठोस रुख नहीं अपना सके। इससे पता चलता है कि यह बदलाव या तो नागपुर (जहां आरएसएस मुख्यालय स्थित है) या दिल्ली (केंद्र सरकार) की ओर से है। इससे सामाजिक रूप से पूरे राज्य में आदिवासी समुदाय में एक गलत संदेश गया, क्योंकि उन्होंने इसे (कार्यक्रम को) नजरअंदाज कर दिया। उनकी छवि प्रभावित होगी, हालांकि मुझे लगता है कि वे निर्दोष हैं। उनसे पूछना बेहतर है कि उन्होंने इसे क्यों छोड़ दिया।”