Chaitanyananda Saraswati News: साउथ दिल्ली में मौजूद एक प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर को दिल्ली पुलिस ने रविवार तड़के आगरा के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक, उन्होंने आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी के पास से फर्जी विजिटिंग कार्ड बरामद किए हैं। एक विजिटिंग कार्ड में दावा किया गया था कि वह संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ECOSOC) में स्थायी राजदूत है और दूसरे पर दावा किया गया था कि वह आयोग का सदस्य और ब्रिक्स में भारत का विशेष दूत है।
पुलिस ने बताया कि उन्होंने तीन फोन और एक आईपैड भी बरामद किया है। आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद दिल्ली लाया गया और एक स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया। यहां से उसे पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, चैतन्यानंद पिछले दो महीनों में कथित तौर पर मथुरा, आगरा और वृंदावन में कई जगहें बदलता रहा और 13 होटलों में ठहरा। एक अधिकारी ने बताया कि वह कथित तौर पर अपने कर्मचारियों से अधिकारियों को फोन करवाता था और खुद को पीएमओ का सदस्य बताकर पायलट और एस्कॉर्ट कार और आवास जैसी सुविधाएं मांगता था।
सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे
प्रोसिक्यूशन ने पटियाला हाउस कोर्ट में ड्यूटी मजिस्ट्रेट रवि के सामने दावा किया, “उसने उन्हें धमकियां दी थीं। उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। कुछ बाथरूम में भी लगाए गए थे। लगभग 16 लड़कियों ने शिकायत की है। कई अन्य आरोपों की पुष्टि की जानी है।” इन आरोपों के सार्वजनिक होने से पहले 25 जुलाई को चैतन्यानंद के खिलाफ 20 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी।
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इस बीच, धार्मिक संस्था ने एक बयान में कहा कि उसने चैतन्यानंद से संबंध तोड़ लिए हैं और उन्हें सभी आधिकारिक पदों से हटा दिया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, कथित उत्पीड़न का मामला अगस्त में तब सामने आया जब इंस्टीट्यूट के एडमिनिस्ट्रेटर ने पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने बताया कि उस समय चैतन्यानंद लंदन में था।
कोर्ट के दस्तावेजों से पता चलता है कि भारत लौटने के बाद चैतन्यानंद ने जमानत के लिए याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट की फटकार के बाद उसने इसे वापस ले लिया। रविवार को गिरफ्तारी के बाद आरोपी के वकील ने पुलिस हिरासत के लिए प्रोसिक्यूशन की याचिका का विरोध किया और कहा कि सभी ने अपने बयान पहले ही दर्ज करा दिए हैं।
वकील ने तर्क दिया, “आप मेरे फोन, एक आईपैड और मेरा सामान पहले ही ले चुके हैं। मुझे डायबिटीज है और मुझे चिंता की समस्या है। आप मुझे परेशान करने के लिए ही पुलिस हिरासत चाहते हैं। अगर आपको लगता है कि (महिलाओं को) कोई खतरा है, तो मुझे न्यायिक हिरासत में लेकर उसका मुकाबला किया जा सकता है।”
शिकायतकर्ता के वकील ने क्या तर्क दिया
दूसरी ओर, शिकायतकर्ता के वकील ने तर्क दिया, “एक गवाह ने साफ तौर पर कहा है कि अगर उसने शिकायत करने की हिम्मत की तो उसे उठा लिया जाएगा। जांच, जो अभी शुरुआती चरण में है, उसमें छेड़छाड़ का खतरा है। दो महीने में यह पहली बार है जब वह जांच में शामिल हुआ है। आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। उसने अपने आईपैड का पासवर्ड नहीं दिया है। इस मामले में सिर्फ जब्ती ही काफी नहीं होगी।”
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