केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अटके हाउसिंग प्रॉजेक्ट्स वाले बिल्डरों के पास खाली पड़ी जमीनों के इस्तेमाल की संभावना तलाश रही है। इसके साथ करीब तीन लाख फ्लैट्स की डिलीवरी तेज करने के लिए एक फंड बनाने पर दोनों सरकारें विचार कर रही हैं। वित्त मंत्रालय का काम-काज देख रहे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सरकारी बैंकों के बीच रियल्टी सेक्टर के लिए एक स्ट्रेस फंड बनाने के बारे में विचार किया जा रहा है। हालांकि, स्ट्रेस फंड में रकम कितनी होगी, इसका फैसला होना अभी बाकी है। माना जा रहा है कि शुरुआत में 1 से 2 हजार करोड़ तक का निवेश किया जा सकता है। एनबीसीसी, हाउसिंग मिनिस्ट्री और बैकों से एक ऐसी योजना बनाने को कहा गया है, जिस पर तुरंत काम किया जा सके।

खाली जमीनें एनबीसीसी जैसी एजेंसियों को सौंपने पर विचार : मीटिंग में डिवेलपरों के पास पड़ी खाली जमीनों को एमबीसीसी जैसी एजेंसियों को सौंपने के बारें में विचार किया जा रहा है। चर्चा के मुताबिक, एनबीसीसी इन जमीनों से संसाधन पैदा करेगी या फिर इन्हें ही डिवेलप कर 10 साल से अटके पड़े फ्लैट्स से निर्माण का खर्च जुटाएगी।

अभी भी फंसे हैं 70 हजार फ्लैट्स: आम्रपाली, जेपी इंफ्राटेक जैसी रियल्टी कंपनियां इस समय दीवालिया प्रकिया से गुजर रही है। इनके पास बायर्स के 70 हजार फ्लैट्स फंसे हुए हैं। एक तरफ जहां बिल्डर्स पैसे जुटाने में असक्षम हैं, वहीं दूसरी तरफ होम बायर्स भी पेंमेंट नहीं कर रहे हैं। इससे अटके फ्लैट्स की भरमार हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।

प्रोजेक्ट पूरा करने की कवायद तेज : दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगामी लोकसभा चुनाव से पहले नोएडा और ग्रेटर नोएडा फ्लैट्स का निर्माण कर इनकी जल्दी डिलीवरी दिलाने को प्रयासरत हैं। योगी सरकार ने एक साल पहले इस दिशा में प्रयास शुरू किए थे, जिसे अब और गति दी जा रही है। इस समय अकेले आम्रपाली ग्रुप में ही 43 हजार अपार्टमेंट्स फंसे हैं। उनके पास 10 हजार नए फ्लैट्स बनाने के लिए जमीन खाली पड़ी है। जेपी इंफ्राटेक के पास इस समय 3500 एकड़ खाली जमीन है, जिसे बेचकर फंड इकट्ठा किया जा सकता है।