राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव और 18 अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। दरअसल, आरोप है कि तेजस्वी ने कोरोनाकाल में बिना इजाजत के पटना के गांधी मैदान में सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा कर कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन किया। एफआईआर में उनके साथ 18 और लोगों का नाम है। साथ ही 500 अज्ञात लोगों पर भी केस दर्ज है। प्रशासन का कहना है कि सभी के खिलाफ धारा 188, 145, 269 और 279 तथा महामारी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

हालांकि, तेजस्वी ने अपने खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर पर बिहार की नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार को चुनौती दे डाली। उन्होंने रविवार को ट्वीट में कहा, “डरपोक और बंधक मुख्यमंत्री की अगुवाई में चल रही बिहार की कायर और निक्कमी सरकार ने किसानों के पक्ष में आवाज उठाने के जुर्म में हम पर FIR दर्ज की है। दम है तो गिरफ़्तार करो,अगर नहीं करोगे तो इंतजार बाद स्वयं गिरफ़्तारी दूंगा। किसानों के लिए FIR क्या अगर फांसी भी देना है तो दे दीजिए।”

कृषि कानून पर सरकार को दी थी चुनौती: तेजस्वी यादव के साथ शनिवार को पटना के गांधी मैदान में प्रदर्शन के लिए राजद के साथ कांग्रेस के कई नेता भी शामिल रहे। तेजस्वी ने यहां से कहा था कि आज हम लोग यहां बापू के सामने संकल्प लेंगे कि किसानों के संघर्षों के साथ हम लोग मजबूती के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि एमएसपी की जहां तक बात है तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। सरकार की तरफ से एमएसपी का जिक्र ना होने का मतलब है कि कृषि क्षेत्रे निजी हाथों में बेचा जा रहा है और इसकी निजीकरण किया जा रहा है।

किन नेताओं पर दर्ज हुए FIR: इस दौरान मैदान में जुटी भीड़ को हटाने के लिए प्रशासन ने कई बार चेतावनी दी, पर भीड़ लगातार बढ़ती गई। पुलिस ने इस मामले में जिन नेताओं के खिलाफ एफआईआर की है, उनमें विधायक आलोक मेहता, रामानंद यादव, पूर्व मंत्री श्याम रजक, रमई राम, पूर्व विधायक शक्ति सिंह यादव, आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और अन्य शामिल हैं।