कांग्रेस के नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रायबरेली में बड़ा बयान दिया। उन्होंने मायावती की पार्टी बीएसपी को लेकर कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी की B टीम बनकर काम किया। राहुल गांधी ने कहा कि वह चाहते थे कि मायावती गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़े। वहीं अब उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बड़ा बयान दिया है।
ओपी राजभर का बड़ा दावा
ओमप्रकाश राजभर ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, “कांग्रेस और सपा दोनों भाजपा की बी टीम है। समय-समय पर दोनों भाजपा की मदद करते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी की मदद की। वहीं लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने बीएसपी को साथ लाने का प्रयास किया, तब सपा ने इसका विरोध किया। सपा ने यहां तक कह दिया था कि अगर बीएसपी गठबंधन में आती है तो हम साथ चुनाव नहीं लड़ेंगे। आज राहुल गांधी कह रहे हैं कि अगर बीएसपी आई होती तो लड़ाई की दिशा दूसरी होती। दोनों भाजपा की बी टीम है।”
इस दौरान ओमप्रकाश राजभर से पूछा कि क्या दिल्ली में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के साथ लड़ना चाहिए था? इसके जवाब में ओमप्रकाश राजभर ने कहा, “अगर साथ लड़े होते तो लड़ाई होती। नहीं तो एक छोर पर 40 पहलवान (बीजेपी की ओर) हैं जबकि दूसरी तरफ अकेले (विपक्ष) हैं, तो चुनाव कैसे लड़ते।
जानें राहुल ने क्या कहा था
राहुल गांधी ने रायबरेली दौरे पर कहा था, “हमारी पार्टी चाहती थी कि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए मायावती गठबंधन में चुनाव लड़ें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमारे प्रस्ताव को मायावती ने ठुकरा दिया। मेरा मानना है कि कांशीराम जी ने नींव रखी और ‘बहनजी’ ने उस पर निर्माण किया। मैं चाहता था कि ‘बहनजी’ हमारे साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़ें, लेकिन किसी कारण से उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह बेहद निराशाजनक है। अगर तीनों पार्टियां एकजुट होतीं, तो बीजेपी कभी नहीं जीत पाती।”
मायावती ने किया पलटवार
वहीं राहुल गांधी के बयान पर पलटवार करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, “कांग्रेस पार्टी जिन राज्यों में मजबूत है या जहां उनकी सरकारें हैं वहां बीएसपी व उनके अनुयाइयों के साथ द्वेष व जातिवादी रवैया है। किन्तु यूपी जैसे राज्य में जहां कांग्रेस कमजोर है वहां बीएसपी से गठबंधन की बरग़लाने वाली बातें करना यह उस पार्टी का दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है? फिर भी बीएसपी ने यूपी व अन्य राज्यों में जब भी कांग्रेस जैसी जातिवादी पार्टियों के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा है तब हमारा बेस वोट उन्हें ट्रांस्फर हुआ है लेकिन वे पार्टियां अपना बेस वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं करा पायी हैं। ऐसे में बीएसपी को हमेशा घाटे में ही रहना पड़ा है। वैसे भी कांग्रेस व भाजपा आदि का चाल, चरित्र, चेहरा हमेशा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर, उनकी अनुयायी बीएसपी व उसके नेतृत्व, उनके दलित-बहुजन अनुयाइयों एवं आरक्षण आदि का घोर विरोधी रहा है, जिससे देश संविधान का समतामूलक व कल्याणकारी उद्देश्य पाने में काफी पीछे जो चिन्ताजनक है।”