बिहार में कोरोना मरीजों के नए मामले थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। स्वास्थ्य महकमा की रविवार शाम को जारी बुलेटिन के मुताबिक 12795 नए मामले दर्ज किए गए हैं। कुल सक्रिय मामले अबतक 87154 हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बताया कि बीते 24 घंटे के दौरान 7533 मरीज स्वस्थ होकर अपने घर चले गए हैं। इनके अनुसार ठीक होने का आंकड़ा 77.87 फीसदी है। इलाज के अभाव में किसी मरीज को दम तोड़ने नहीं दिया जाएगा।

लेकिन पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल की हालत खस्ता है। अव्यवस्था का आलम यह है कि यहां 27 वेंटिलेटर और 17 आइसीयू बेड कमरे में बंद पड़े हैं। मरीजों के काम नहीं आ रहे। दूसरी ओर मरीजों को बेड नहीं मिल रहे। अस्पताल के अधीक्षक फोन तक उठाना जरूरी नहीं समझते। इस संवाददाता ने शनिवार रात से रविवार के दौरान दस दफा फोन किया। मगर फोन रिसीव नहीं हुआ।

जानकार बताते हैं कि मेडिकल कालेज अस्पताल के 36 आईसीयू बेड में से केवल 12 बेड का ही वेंटिलेटर काम कर रहा है। करीब आठ माह पहले मिले 27 वेंटिलेटर अब तक मरीजों के उपयोग के लिए खोला ही नहीं गया है। दिलचस्प बात है कि 17 बेड का नया आईसीयू भी आठ माह पहले बनकर तैयार हो चुका है। मगर वह भी मरीजों के लिए नहीं खोला गया है।
हैरत की बात यह है कि राज्य सरकार ने अस्पताल को कोरोना मरीज के लिए समर्पित घोषित कर रखा है। मरीज बिस्तर और ऑक्सीजन के अभाव में रोजाना दो-चार मरीज दम तोड़ रहे हैं। स्वास्थ्य महकमा के मुताबिक राज्य में बीते 24 घंटे में कुल 68 मरीज मौत के शिकार बने हैं। मगर कोई देखने वाला नहीं है।

शनिवार रात की ही बात है। वंदना शर्मा नाम की महिला को सांस लेने में तकलीफ थी। उसे रात दस बजे घरवाले जेएलएन भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल लेकर पहंचे। उनके साथ आए श्रीधर ने बताया कि कोई मरीज को देखने वाला नहीं था। बड़ी मिन्नत-आरजू के बाद रात दो बजे जनरल वार्ड में जगह मिली। मगर आक्सीजन के लिए मरीज सुबह तक तड़पती रही।

ज्ञात हो कि बिहार के सभी 38 ज़िले कोरोना मरीजों के नए मामले की गिरफ्त में है। मगर कुछ ज़िलों की हालत ज्यादा खराब है। रविवार को जहां नए मामले सामने आए हैं उनमें औरंगाबाद-682, बेगूसराय-525, , भागलपुर-681, गया- 1340, जहानाबाद-373, मधुबनी-314 , मुजफ्फरपुर-472, पटना- 1848 , सारण-707 , सीवान-279, सुपौल-214, वैशाली 384 , पश्चिमी चंपारण-347 , समस्तीपुर -438 है।

इधर भागलपुर सदर अस्पताल में 50 बेड का अलग से कोरोना वार्ड बनाने के लिए डीएम सुब्रत कुमार सेन ने मुआयना के बाद ऐलान किया है। जहां आक्सीजन के साथ बिस्तर मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध रहेंगे। मगर जेएलएन मेडिकल कालेज के नए अधीक्षक डा. असीम दास खुद कोरोना पीड़ित होकर एकांतवास में हैं। इनके प्रभार में आए डा.गौरव भी मलेरिया से ग्रस्त हो गए हैं। सिविल सर्जन डाॅ. उमेश शर्मा भी कोरोना संक्रमण का शिकार होकर एकांतवास में हैं।

हालत चरमरा गई है। डीएम ने एक पत्र निर्गत कर यह बताया है कि जेएलएन मेडिकल कालेज अस्पताल में कोरोना के इलाज में केवल जूनियर , पीजी और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों का रोस्टर बना ड्यूटी लगाई जा रही है। जो गलत है। विशेषज्ञ और वरीय चिकित्सकों की भी ड्यूटी लगाई जानी चाहिए। इसके लिए एडीएम रैंक के एक अधिकारी को रोस्टर की जांच का जिम्मा दिया गया है। जिसे जांच कर स्वास्थ्य महकमा के प्रधान सचिव को भेजने का पत्र में फरमान है।

ईस्टर्न बिहार चेंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष अशोक भिवानीवाला और महासचिव रोहित झुनझुनवाला ने स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिख भागलपुर पॉलिटेक्निक और आईटीआई में बेड लगाकर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध कराने की गुजारिश की है। ये सरकारी परिसर हमेशा चुनाव के दौरान उपयोग किया जाता है। तो कोरोना महामारी में क्यों नहीं? ऐसे संकटकालीन चुनौतीपूर्ण हालात में कुछ करना चाहिए। ताकि लोगों की जान बचाई जा सके।

यह सच है कि अफरातफरी का माहौल है। लोगों को भागलपुर अस्पताल में बेड न मिलने से या इंतजाम का अभाव होने से डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। मरीजों को पटना या राज्य के बाहर सिलीगुड़ी और कोलकत्ता ले जाने के बावजूद जान बचाना मुश्किल हो गया है। पटना एम्स में पत्रकार रामप्रकाश गुप्ता की मौत, भागलपुर में पूर्व जनसंपर्क अधिकारी शिवशंकर सिंह पारिजात की पत्नी, सिलीगुड़ी में गोपाल ढाँढनियाँ की मौत, कोलकत्ता ले जाने के दौरान सत्यभामा शर्मा की मृत्यु, कोलकत्ता में ही भागलपुर से ले जाए गए उमेश वर्मा की मौत हो चुकी है। बैंक प्रबंधक राजीव सिंहा और व्यापारी राजेश झुनझुनवाला की मौतें भी रविवार सुबह हुई है। इनसे पहले राजीव सिंहा के पिता को तीन रोज पहले कोरोना ने निगल लिया था। मीडियाकर्मी चंदन शर्मा और इनकी माता किरण देवी के साथ भी पीड़ादायक घटनाएं हुई। घाटों पर लाशें जलाने की सौदेबाजी और दवा बगैरह की कालाबाजारी भी भागलपुर जिला प्रशासन की पोल खोल रही है।

एम्बुलेंस वालों की मनमानी तो रोजाना सुनने को मिल रही है। निजी जांच घर या नर्सिंग होम की अलग कहानी है। जिन डॉक्टरों ने अपनी जान की बाजी लगाकर मोबाइल से अपनी सलाह देकर मरीजों को ठीक कर रहे हैं। साथ ही कोविड-19 आईसीयू में कोरोना मरीजों के बीच घिर कर अपनी सेवा दे रहे हैं। उन्हें शाबाशी देने वाले कोई नहीं है। बल्कि मरीज के परिजन उनसे उलझने को तैयार बैठे हैं। इनकी हिफाजत का इंतजाम भी जरूरी है। ऐसा डॉक्टरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।

इधर, रविवार को भागलपुर के विधायक और विधानसभा में कांग्रेस दल के नेता अजित शर्मा ने भागलपुर के दोनों अस्पतालों में मरीजों की सुविधा के वास्ते एक करोड़ रुपए अपने विधायक फंड से देने की सिफारिश की है। इस आशय का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उन्‍होंने पत्र लिखा है। जिसमें आक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर और दूसरी सुविधा पर खर्च करने की बात कही है। विधायक के इस कदम को संकट की घड़ी में बड़ी सहायता बता काफी सराहना की जा रही है।