उत्तर प्रदेश में उपचुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं। कुछ राज्यों में विधायकों के पाला बदलने की खबरों के बीच बुधवार (25 सितंबर) को पार्टी से नाराज चल रहे पूर्व लोकसभा प्रत्याशी अनुभव चक सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ इस्तीफा देने के लिए मंडल कार्यालय पहुंचे। कार्यालय में ताला लगा देखकर वो भड़क गए और मेन गेट पर बीएसपी के फुलफार्म के नाम वाला बैनर टांग कर प्रदर्शन करने लगे। उन्होंने कहा कि बीएसपी का मतलब है ‘भाई सतीश पार्टी’ है।

मायावती के भरोसेमंद थे कभीः बसपा के कद्दावर नेता अनुभव चक बसपा सुप्रीमो मायावती और राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा से नाराज चल रहे हैं। अनुभव चक की गिनती जमीनी नेताओं में होती है। एक समय वलो नसीमुद्दीन सिद्दीकी और स्वामी प्रसाद मौर्य के खास हुआ करते थे। इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती भी उन पर भरोसा करती थीं।

अनुभव चक के लगवाए पोस्टर (फोटो- स्थानीय)

कानपुर से लड़े थे चुनावः बसपा सुप्रीमो ने 2009 के लोकसभा चुनाव में कानपुर से अनुभव चक को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन अनुभव कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल से हार गए थे। इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य और नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पार्टी छोड़ दी थी, जिससे उनकी भी पार्टी से पकड़ कमजोर होती चली गई। इसके बावजूद भी वो पार्टी से जुड़े रहे और विभिन्न पदों पर कार्य करते रहे। बसपा सुप्रीमो ने अनुभव चक को झांसी चित्रकूट मंडल का जोन इंचार्ज बनाया था। उन्हें बसपा में प्रवक्ता पद भी दिया गया। इसके साथ ही वो दिल्ली विधानसभा चुनाव में बवाना और शालीमार सीट के प्रभारी भी रह चुके हैं।

बुधवार को अनुभव चक सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ कानपुर मंडल कार्यालय इस्तीफा देने के लिए गए थे। जब कार्यालय में मौजूद पदाधिकारियों को इस बात की जानकारी हुई तो पदाधिकारी कार्यालय में ताला लगाकर मौके भाग गए। जब अनुभव चक पहुंचे तो कार्यालय में ताला देखकर वो भड़क गए। मेन गेट पर विरोध का बैनर लगाकर पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। अनुभव चक के मुताबिक, ‘पहले चाहे नसीमुद्दीन सिद्दकी रहे हो, बाबू सिंह कुशवाहा या स्वामी प्रसाद मौर्य हो। बड़े से बड़े से नेता को पार्टी से निकाला गया है या फिर उसने पार्टी छोड़ी है। किसी भी नेता ने पार्टी छोड़ने के बाद बहन जी को जगाने के लिए पार्टी कार्यालय में प्रदर्शन करने के लिए नहीं सोचा। इसीलिए मायावती धीरे-धीरे निरंकुश होती चली गईं।’

उन्होंने कहा, ‘बसपा सुप्रीमो अपने हिसाब से मिशन से दूर हटकर पार्टी को चलाने का प्रयास करने लगी, जिसका परिणाम है सतीश चंद्र मिश्रा। सतीश चंद्र मिश्रा ने बहुजन समाज पार्टी को भाई सतीश पार्टी बनाकर रख दिया है। बहन जी ने निष्ठावान नेताओं को किनारे कर के जिसकी थैली भारी है उसको आगे बढ़ाने में लगी हुई है। बहन जी को ये बताने के लिए कि हम लोग काशीराम और बाबा साहब के बहुजन नायकों के सच्चे सिपाही है। जिनका कहना है कि यदि हम लोग भी बिकाऊ हो जाए तो हमारे समाज के लोग हमारा विरोध करने से पीछे नहीं हटना। बहन जी बिकाऊ हो गई है इस लिए हमारे जैसे कार्यकर्ता सड़कों पर निकल आए है। उन्होंने कहा कि हम कार्यालय के बाहर बोर्ड लगाने जा रहे है कि ‘भाई सतीश पार्टी’ कार्यालय यहां पर है। इस्तीफा देने वालों में से आधे से ज्यादा वो कार्यकर्ता हैं जो निकाय चुनाव में पार्षद का चुनाव लड़ चुके हैं।’