UP Brahmin MLAs Meeting: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश के विधायकों को साफ चेतावनी दी है कि वे अपनी-अपनी जाति के आधार पर कोई बैठक न करें। माना जा रहा है कि यह कदम 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के भीतर जाति के नाम पर बनने वाले गुटों को रोकने के लिए उठाया गया है।
उत्तर प्रदेश भाजपा के नवनियुक्त अध्यक्ष पंकज चौधरी ने गुरुवार को इस तरह की बैठकों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से चेतावनी दी। यह चेतावनी उस घटना के दो दिन बाद आई, जब कई ब्राह्मण विधायक और एमएलसी लखनऊ में कुशीनगर से विधायक पीएन पाठक के आवास पर इकट्ठा हुए थे। इस बैठक में राज्य में ब्राह्मण समुदाय के साथ हो रहे कथित भेदभाव पर चर्चा की गई थी।
सख्त लहजे में पंकज चौधरी ने कहा कि यह बैठक पार्टी के संविधान और मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने चेतावनी दी कि आगे अगर इस तरह की बैठकें होती हैं, तो उन्हें अनुशासनहीनता माना जाएगा।
भाजपा के एक नेता के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व को प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर करने वाली सिर्फ ब्राह्मण विधायकों और एमएलसी की बैठक नहीं थी। नेता ने बताया कि मंगलवार को रात की ब्राह्मण विधायकों की बैठक से पहले, उसी दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक और पदाधिकारी लखनऊ के एक होटल में दोपहर के भोजन पर एक अलग बैठक में शामिल हुए थे।
इस बैठक में शामिल लोग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ जाट नेता के विरोधी माने जाते हैं। हालांकि, इस बैठक पर इसलिए ध्यान नहीं दिया गया क्योंकि इसकी तस्वीरें सामने नहीं आई थीं। भाजपा सूत्रों के अनुसार, मंगलवार की ब्राह्मण विधायकों की बैठक कुछ ब्राह्मण पार्टी विधायकों ने खुद बुलाई थी।
पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए कुछ भाजपा नेताओं ने इस बैठक को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर आयोजित किया था। यह बैठक “बाटी-चोखा” डिनर के दौरान हुई। सूत्रों के मुताबिक, इसमें भूमिहार और कुर्मी समुदाय के कुछ भाजपा विधायक भी शामिल थे।
मंगलवार को हुई इस रात्रिभोज बैठक में शामिल भाजपा विधायकों और एमएलसी के नाम और मोबाइल नंबर वाली दो पन्नों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। भाजपा के एक अंदरूनी सूत्र के अनुसार, ये जानकारियां ब्राह्मण विधायकों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के लिए इकट्ठा की गई थीं।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व नाराज था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने भी अपनी असहमति जताई। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने संबंधित विधायकों से संपर्क किया, उन्हें फटकार लगाई और चेतावनी दी।
इस बैठक से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई। विपक्षी दलों ने इसे लेकर दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
भाजपा के एक अन्य नेता ने बताया कि राज्य के विधायकों को दी गई यह चेतावनी इसलिए दी गई है ताकि पार्टी के भीतर जाति के आधार पर गुट न बनें। ऐसे गुट आगे चलकर 2027 के विधानसभा चुनाव के समय टिकट और मंत्री पदों के लिए दबाव बना सकते हैं और सौदेबाजी कर सकते हैं। नेता के मुताबिक, इस तरह के दबाव समूह पार्टी को चुनाव में नुकसान पहुंचा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे को लेकर ठाकुर समाज के एक वर्ग में नाराजगी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर भाजपा को नुकसान पहुंचाया था। हालांकि, पार्टी ने उस स्थिति को संभालने के लिए ठाकुर नेताओं के रोड शो और रैलियां कराईं थीं।
इस साल अगस्त में लखनऊ में भाजपा के कुछ ठाकुर विधायकों की एक अनौपचारिक बैठक भी हुई थी। जब यह पूछा गया कि उस बैठक पर पार्टी ने कोई चेतावनी क्यों नहीं दी, तो नेता ने बताया कि उस समय पार्टी नेतृत्व संगठनात्मक चुनावों में व्यस्त था।
उन्होंने आगे कहा कि अब पंकज चौधरी प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनके जरिए पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि पार्टी के भीतर किसी भी खास जाति के गुट बनाने की अनुमति नहीं होगी। अगर कोई भी इस सीमा को पार करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा इस बात से भी नाराज हो गई क्योंकि जब चुनाव आयोग ने सभी सांसदों और विधायकों को मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) पर नजर रखने का निर्देश दिया था, उसी समय कुछ विधायकों ने एक अलग मुद्दे पर बैठक कर ली। इस बैठक की वजह से मीडिया का ध्यान गया और विपक्ष को भाजपा सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया।
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर साधा निशाना
भाजपा पर निशाना साधते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि जब पार्टी के अपने लोग बैठक करते हैं तो उन्हें छूट मिलती है, लेकिन दूसरों को चेतावनी दी जाती है।
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अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा शासन में लोगों को “बाटी-चोखा” नहीं बल्कि “माटी-धोखा” मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जब किसी समाज के साथ व्यवहार उपेक्षा से आगे बढ़कर अपमान तक पहुंच जाए, तो उसे कोई भी समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता।
बीजेपी को ठाकुर विधायकों की बैठक से कोई दिक्कत नहीं- कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने आरोप लगाया कि भाजपा हमेशा जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करती आई है। उन्होंने कहा कि भाजपा को ठाकुर विधायकों की बैठक से कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन ब्राह्मण विधायकों की बैठक पर चेतावनी दी जाती है। उनके अनुसार, यह साफ है कि भाजपा में ब्राह्मण विधायकों को सम्मान नहीं मिल रहा और आने वाले चुनावों में इसका असर दिखेगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि उत्तर प्रदेश में फिलहाल एक ही जाति का दबदबा है।
यूपी ब्राह्मण विधायक और MLC कितने?
उत्तर प्रदेश में भाजपा के 258 विधायकों में से- 84 विधायक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं, 59 विधायक अनुसूचित जाति (एससी) से हैं, 45 विधायक ठाकुर समुदाय से हैं, 42 विधायक ब्राह्मण समुदाय से हैं, और 28 विधायक अन्य उच्च जातियों (वैश्य, कायस्थ, पंजाबी, खत्री) से आते हैं।
राज्य में भाजपा के 79 एमएलसी में से- 26 ओबीसी, 23 ठाकुर, 14 ब्राह्मण, 2 अनुसूचित जाति, 2 मुस्लिम और 12 अन्य उच्च जातियों से हैं।
दिसंबर 2021 में, 2022 के विधानसभा चुनावों से कुछ हफ्ते पहले, भाजपा ने ब्राह्मण समुदाय को साधने के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई थी। इस समिति का काम पार्टी की रणनीति और कार्यक्रम तैयार करना था। यह फैसला जमीनी स्तर से मिली प्रतिक्रिया के बाद लिया गया था, जिसमें कहा गया था कि विपक्षी दल इस बात का संदेश देने में कुछ हद तक सफल हो गए थे कि भाजपा शासन में ब्राह्मणों को पूरा सम्मान और पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है।
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