Bombay High Court Verdict: एक महिला ने बॉम्बे हाई कोर्ट में, राज्य सरकार की बेरुखी के बाद एक याचिका दायर की थी। उसका कहना था कि उसके पति की मौत कोरोनाकाल में ड्यूटी के दौरान कोरोनावायरस की चपेट में आने के चलते हुई थी। इसके चलते महिला ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उस वक्त के ऐलान के मुताबिक पति की मौत पर 50 लाख रुपये की मांग उठाई थी। महिला की यह याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह तक कह दिया कि यह मुआवजा कोई इनाम नहीं है।

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ में जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस आर एम जोशी शामिल थे। पीठ ने सुनावई के दौरान कहा कि महिला की मांग पर महाराष्ट्र सरकार का रुख गलत नहीं है अदालत की इस टिप्पणी से मुआवजा मांग रही महिला को करारा झटका लगा है।

जानकारी के मुताबिक महिला महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की रहने वाली हैं, जिका नाम कंचन हामशेट्टे हैं। उन्होंने पति की कोरोनाकमल में ड्यूटी के दौरान मौत पर 50 लाख का मुआवजा मांगने वाली याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने क्यों खारिज की महिला की याचिका

बता दें कि कोरोनाकाल के दौरान राज्य सरकार ने उन कर्मचारियों के लिए 50 लाख रुपये की व्यापक व्यक्तिगत दुर्घटना राशि की योजना पेश की थी। इसमें रोगियों का पता लगाने से लेकर उनका सर्वेक्षण, रोकथाम उपचार से संबंधित फ्रंटलाइन स्तर पर काम में तैनात थे।

ऐसे में कंचन हामशेट्टे ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि अप्रैल 2021 में जान गंवाने वाले उनके पति ऐसा ही काम कर रहे थे, जो कि आवश्यक सेवाओं में आता है। उन्होंने कोर्ट से नवंबर 2023 में राज्य सरकार द्वारा उनकी एप्लिकेशन खारिज किए जाने के बाद याचिका दायर की थी। वहीं अदालत में अपने आदेश में कहा है कि इस बात पर कोई बहस नहीं हो सकती कि ऐसे मामले संवेदनशील और सावधानी पूर्वक ही निपटाए जाएं।

इस मामले में कोर्ट ने कहा कि ऐसे मुद्दों की गहन जांच होनी चाहिए लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि जो मामले मुआवजे के पैसे के भुगतान के योग्य नहीं हैं, उन पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि इस तरह की राशि कोई इनाम नहीं है। अदालत ने कहा कि अगर ऐसे मामलों को लापरवाही से निपटाया जाता है और मुआवजा राशि दी जाती है, तो टैक्सपेयर्स का पैसा बेकार जाएगा।

खास बात यह भी है कि हाईकोर्ट ने इस केस में महाराष्ट्र सरकार की इस दलील को भी स्वीकार किया है कि याचिकाकर्ता के पति एक हैंडपंप सहायक थे और उसे किसी भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा कोविड-19 ड्यूटी पर नहीं रखा गया था।