बीजेपी की बिहार इकाई के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने शनिवार को चुनाव आयोग से आग्रह किया कि राज्य में विधानसभा के चुनाव एक या दो चरणों में कराए जाएं। उन्होंने मांग की कि मतदान केंद्रों पर बुर्का पहनकर आने वाली महिलाओं की पहचान उनके मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) के साथ की जाए।
चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले दो दिवसीय बिहार दौरे पर आये मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व वाले आयोग के दल के साथ बैठक के बाद जायसवाल ने यह बयान दिया।
जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि चुनाव एक या दो चरणों में कराए जाएं। चुनावी प्रक्रिया को लंबा खींचने की जरूरत नहीं है। साथ ही बुर्का पहनने वाली महिलाओं सहित सभी मतदाताओं के चेहरों का उनके ईपीआईसी कार्ड से मिलान सुनिश्चित किया जाए, ताकि सिर्फ वास्तविक मतदाता ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।’’
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बीजेपी की इस मांग की राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने निंदा की है। हालांकि, दोनों दल विधानसभा चुनाव को एक या दो चरणों में कराने के मुद्दे पर सहमत नजर आए।
बीजेपी अपना एजेंडा थोपना चाहती है- आरजेडी
आरजेडी के नेता अभय कुशवाहा, प्रवक्ता चितरंजन गगन और मुकुंद सिंह ने चुनाव आयोग से मुलाकात की। कुशवाहा ने बुर्का मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘यह राजनीतिक साजिश है। हाल ही में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) किया गया है और सभी मतदाताओं को नए फोटोयुक्त पहचान पत्र जारी किए जा रहे हैं। ऐसे में पहचान कोई बड़ी समस्या नहीं है। लेकिन बीजेपी अपना एजेंडा थोपना चाहती है।’’
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कुशवाहा ने कहा कि उनकी ओर से भी चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि चुनाव दो चरणों से अधिक में न कराए जाएं क्योंकि वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने में बहुत कम समय बचा है।
आरजेडी ने यह भी सुझाव दिया कि मतदान राज्य के सबसे लोकप्रिय पर्व छठ के बाद हो, जो दीपावली के छह दिन बाद (अक्टूबर अंत में) मनाया जाएगा।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और इंडिया गठबंधन की घटक भाकपा (माले लिबरेशन) ने भी आयोग से विधानसभा चुनाव दो चरणों से अधिक में न कराने का आग्रह किया।
आरजेडी ने आयोग से यह जानकारी साझा करने की मांग की कि हाल में प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची से जिन 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, उनका विवरण सार्वजनिक किया जाए।