पंकज रोहिला
भाजपा के एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि अगर आगामी लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा जाता है तो दिल्ली की सातों सीटों पर पार्टी को जीत मिलेगी। दिल्ली की सभी लोकसभा और विधानसभा सीटों पर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट को केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दिया गया है। यह सर्वेक्षण भाजपा से संबंधित संस्थान लोक नीति शोध केंद्र (पीपीआरसी) के माध्यम से कराया गया। इसमें समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान से जुड़े छात्रों की भी मदद ली गई। सर्वेक्षण के तहत करीब 34 हजार लोगों को कुछ सवाल भेजकर केंद्र और राज्य सरकार के कामकाज के बारे में पूछा गया। इसमें पूछा गया कि लोकसभा चुनाव के बाद देश के प्रधानमंत्री के रूप में आप किसे देखना चाहते हैं? लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के नाम का विकल्प दिया गया। सबसे ज्यादा लोगों ने मोदी के नाम का विकल्प चुना।
सर्वेक्षण में नरेंद्र मोदी को 60 फीसद से अधिक, राहुल गांधी को 13 फीसद और अरविंद केजरीवाल को 24 फीसद समर्थन मिला है। पार्टी के समर्थन को लेकर पूछे गए सवालों पर भाजपा को 31 फीसद से 48 फीसद, कांगे्रस को 8 से 16 फीसद और आम आदमी पार्टी को 25 से 31 फीसद लोगों ने समर्थन दिया। पीपीआरसी ने जुलाई से सितंबर के बीच इस सर्वेक्षण का आयोजन किया। सर्वेक्षण का आधार 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव की स्थिति को बनाया गया है। पीपीआरसी के निदेशक सुमित भसीन से जब इस सर्वेक्षण के संबंध में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता बढ़ने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ‘मन की बात’ और ‘नमो ऐप’ के माध्यम से युवा प्रधानमंत्री से जुड़ रहे हैं। वहीं, गुड गर्वनेंस की वजह से प्रधानमंत्री की लोकप्रियता 6 से 8 फीसद तक बढ़ी है।
पानी से खुश, बिजली की तय दरों से नाराज लोग
सर्वेक्षण में लोगों ने पानी की उपलब्धता पर खुशी जाहिर की है जबकि बिजली की तय दरों से जनता परेशान है। इस वजह से बिजली के दाम आधे तो हो गए पर लोगों पर फिक्स चार्ज का बोझ बढ़ गया है। सार्वजनिक परिवहन की खस्ता हालत से भी दिल्लीवाले नाराज हैं। निजी स्कूलों में फीस कम नहीं हुई है, इससे भी लोग परेशान हैं। क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाना एक बड़ी घोषणा थी। इस घोषणा पर पूछे गए सवाल में केवल पूर्वी, नई दिल्ली व उत्तर-पश्चिमी दिल्ली ही पास हुए हैं। इन क्षेत्रों के आम लोगों ने माना है कि उन्हें सीसीटीवी कैमरों की निगरानी मिली है बाकी लोकसभा क्षेत्रों में यह निगरानी सिर्फ चुनावी वादा बनकर रह गई है।
