Asaduddin Owaisi Ayodhya Visit : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों (UP Assembly Election 2022) से पहले अयोध्या राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया है। कुछ राजनीतिक दलों की चुनावी यात्रा अयोध्या (Ayodhya) से शुरू हो रही है तो वहीं कुछ दलों का पड़ाव यहां बन रहा है। इसी कड़ी में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) भी 7 सितंबर से तीन दिवसीय वंचित शोषित सम्मेलन करने जा रहे है। इसकी शुरुआत अयोध्या (Ayodhya) से ही होगी। ओवैसी (Asaduddin Owaisi) द्वारा अयोध्या में कार्यक्रम किए जाने पर बीजेपी सांसद ने कहा है कि उन्हें राम मंदिर में जाकर भगवान का आशीर्वाद भी लेना चाहिए।
केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री किशोर कौशल से जब अयोध्या (Ayodhya) में ओवैसी के कार्यक्रम पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि वह अयोध्या में कार्यक्रम करने जा रहे हैं। वह अयोध्या में अपना सम्मेलन करें और राम मंदिर जाकर भगवान का आशीर्वाद लें तो उनके लिए और अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा कि वह आंदोलन करें, कोई उनको रोक नहीं सकता है। जनता उनके विचारों और भावनाओं को जानती समझती है।
कौशल किशोर ने कहा कि जनता, जानती है कि उसको किस पार्टी ने क्या दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की जन आशीर्वाद रैलियों को लोगों का पूरा समर्थन मिल रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ओवैसी (Asaduddin Owaisi) 7 सितंबर को अयोध्या के रूदौली गांव में वंचित शोषित सम्मेलन करेंगे। 8 तारीख को उनका यह कार्यक्रम सुल्तानपुर में होगा और 9 सितंबर को वह बाराबंकी में सम्मेलन के जरिए जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश करेंगे।
उत्तर प्रदेश के चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी AIMIM अपनी किस्मत आजमाने जा रही है। सियासी गलियारों में सुगबुगाहट है कि वह ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ मिलकर अपनी तैयारी कर रहे हैं। ताजा जानकारी के अनुसार, इस गठबंधन को विस्तार देने के लिए भीम आर्मी भी साथ आ सकती है। पिछले दिनों (27 अगस्त) तीनों पार्टियों के मुखियाओं की लखनऊ में मुलाकात हुई थी।
उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि यदि ओवैसी, चंद्रशेखर आजाद और राजभर एक साथ आ जाते हैं। तो उत्तर प्रदेश की मुस्लिम, दलित और पिछड़ी जाति के वोट बैंक का सारा समीकरण बिगड़ जाएगा। इसे राजनीति की दुनिया में सोशल इंजीनियरिंग के नए प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है। जिसका परिणाम, चुनावों के नतीजों के साथ सामने आएगा।
