गुजरात विधानसभा में मंगलवार (7 मार्च, 2023) को बीबीसी के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया है। इसमें भारतीय जनता पार्टी के विधायक विपुल पटेल ने गुजरात दंगों के तथ्यों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। अब शुक्रवार (10 मार्च, 2023) को बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा होगी। विपुल पटेल ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को मनगढ़ंत बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पटेल ने बीबीसी पर 2002 के गोधरा दंगों को लेकर तत्कालीन राज्य सरकार को दोष देने का प्रयास करने का आरोप लगाया। प्रस्ताव के अनुसार, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री भारत की वैश्विक छवि को धूमिल करने का एक निम्न-स्तरीय प्रयास है।

डॉक्यूमेंट्री में किया गया है ये दावा

विधानसभा सचिवालय द्वारा मंगलवार को साझा किए गए प्रस्ताव के अनुसार, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इसके संविधान के मूल में है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एक मीडिया संस्थान ऐसी स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर सकता है।” ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ दो भाग में है, जिसमें दावा किया गया है कि यह 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की पड़ताल पर आधारित है। गुजरात दंगों के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।

नानावती-शाह आयोग ने भी थी क्लीन चिट

प्रस्ताव में दो सदस्यीय नानावती-शाह आयोग का जिक्र करते हुए कहा गया कि आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री और राज्य के मंत्रियों को क्लीन चिट दी थी। जस्टिस जीटी नानावती और केजी शाह के दो सदस्यीय आयोग ने कहा था कि गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस को जलाना एक पूर्व नियोजित साजिश थी।

प्रस्ताव में कहा गया कि आयोग ने गहन जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि राज्य सरकार या किसी धार्मिक संगठन या राजनीतिक दल ने दंगों में कोई भूमिका निभाई है। इसमें यह भी कहा गया कि यहां तक ​​कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी दंगों में राज्य सरकार की किसी भी संलिप्तता से दृढ़ता से इनकार किया।

प्रस्ताव में कहा गया कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री भारत के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि और लोकप्रियता को धूमिल करने का एक प्रयास है। डॉक्यूमेंट्री घटना के 20 साल बाद आई है और पीएम मोदी के खिलाफ एक एजेंडे के अलावा और कुछ नहीं है।