बिहार में बीजेपी के एक विधायक ने हिंदू देवी देवताओं की पूजा को लेकर बयान दे दिया है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी विधायक ललन पासवान ने कहा कि मुस्लिम सरस्वती की पूजा नहीं करते हैं, क्या वे विद्वान नहीं होते? दरअसल बीजेपी विधायक ने अपनी मां की तेरहवीं पर भोज का आयोजन नहीं किया था, इसको लेकर पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछा था।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in करें

पीरपैंती से बीजेपी विधायक ललन पासवान पत्रकारों से बात कर रहे थे और इसी दौरान पत्रकारों ने उनसे मां के लिए “मृत्यु भोज” (13 वें दिन की दावत) का आयोजन क्यों नहीं किया, इस पर सवाल पूछ लिया। इस सवाल का जवाब देते हुए ललन पासवान ने एक वीडियो संदेश में कहा, “यह माना जाता है कि सरस्वती विद्या की देवी हैं। मुसलमान उनकी पूजा नहीं करते, लेकिन क्या वे बुद्धिमान नहीं हैं? क्या वे IAS और IPS अधिकारी नहीं बनते? ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी धन की देवी हैं। मुसलमान उनकी पूजा नहीं करते, लेकिन क्या वे करोड़पति और अरबपति नहीं हैं? भगवान बजरंगबली शक्ति के देवता हैं। मुसलमान और ईसाई उनकी पूजा नहीं करते, क्या अमेरिका महाशक्ति नहीं है? यह सब विश्वास के बारे में है।”

ललन पासवान ने दावत की रस्म को “कुरीति” (गलत प्रथा) करार दिया। ललन पासवान ने आगे कहा, “यह सब आपके विश्वास के बारे में है। जब तक आप इसमें विश्वास करते हैं तब तक एक आत्मा और ईश्वर है। एक बार जब आप तर्क करना शुरू कर देते हैं और आपके विचार वैज्ञानिक होते हैं, तो आप तर्कसंगत रूप से प्रश्न पूछना शुरू कर देते हैं।”

वहीं बीजेपी विधायक पासवान बुधवार को भी अपने बयान पर कायम रहे। उन्होंने कहा, “किसी को उस संदर्भ को समझना चाहिए जिसमें मैंने इस बयान को दिया है। मैं धर्म के खिलाफ नहीं हूं लेकिन मैंने केवल वैज्ञानिक विचार प्रक्रियाओं और तर्कसंगत बात की है।”

वहीं ओबीसी मोर्चा के भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने ललन पासवान के बयान पर द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “पासवान अपनी मां के निधन के बाद सामूहिक भोज के 13वें दिन की रस्म पर अपना दृष्टिकोण व्यक्त करना चाहते थे। हिंदुओं में आर्य समाज और कई अन्य मान्यताएं भी इन 13 वें दिन के अनुष्ठानों का आयोजन नहीं करती हैं। इस पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए हम एक विधायक के तौर पर उनकी भावनाओं को समझते हैं। दूसरों को अपना निर्णय समझाने के लिए उन्होंने कुछ और कहा होगा।”

वहीं इंडियन एक्सप्रेस ने भाजपा सूत्रों के हवाले से कहा कि पहली बार विधायक बने पासवान भाजपा छोड़ने की जमीन तैयार कर रहे हैं क्योंकि सामाजिक गठबंधन अब महागठबंधन के पक्ष में हो सकता है। पासवान 2015 में राजद से भाजपा में आए थे। उन्होंने 2020 के चुनावों में सफलतापूर्वक भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।

Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा राज्य समाचार (Rajya News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
First published on: 21-10-2022 at 08:57 IST