MCD Politics: दिल्ली नगर निगम में हंगामे के बाद इसकी सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा हो गया है। एक दिन पहले निगम प्रशासन की ओर से जारी सख्त फरमान के बावजूद निगम में लचर व्यवस्था देखने को मिली। निगम इतिहास में पहली बार सिविक सेंटर में आप और भाजपा समर्थकों के बीच जिस तरह मर्यादाएं तार-तार दिखीं उसका असर जल्द समाप्त होने वाला नहीं है।
AAP और BJP का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप
आप का कहना है कि भाजपा निगम में अपनी हार को पचा नहीं पा रही है तो भाजपा का आरोप है कि आप को राजनीतिक समझ नहीं है और उनके पार्षदों को अभी संवैधानिक मर्यादाएं सीखने की जरूरत है। हालांकि, इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच जानकारों का यह भी कहना है कि पार्षद के शपथ ग्रहण का मतलब होता है पहले चुने गए पार्षद और बाद में मनोनीत पार्षद (एल्डरमैन)। जानकार मानते हैं कि इस मामले में कुछ तो खामियां जरूर रही होंगी जिससे हाथापाई और मारपीट की नौबत आई।
रणनीति के तहत पहले मनोनीत सदस्यों को दिलाई शपथ
निगम जानकारों का कहना है कि भाजपा ने जोन (क्षेत्र) में अपनी रणनीति पहले से तैयार कर ली थी। जोन से लेकर स्थाई समिति पर कब्जे की कवायद की योजना के तहत ही पहले मनोनीत एल्डरमैन को शपथ दिलाना शुरू किया गया। मगर पार्टी की योजना तब धरी की धरी रह गई जब आप ने इनके मंसूबों को भांप लिया और हंगामा कर उनकी रणनीति को कुछ दिन के लिए ही सही नाकाम कर दिया।
भाजपा का नरेला जोन में और मध्य जोन में पूरा ध्यान केंद्रित है। नरेला जोन में आम आदमी पार्टी और मध्य जोन में कांग्रेस के कुछ पार्षदों को अपनी ओर करके भाजपा स्थाई समिति पर कब्जा करने की रणनीति बना रही है। इसके लिए पार्टी ने नरेला और सिविल लाइंस जोन से चार-चार और मध्य जोन में दो सदस्यों को उपराज्यपाल के द्वारा नामित कराया है।
भाजपा की कोशिश है कि कुल 12 जोन में से सात जोन पर कब्जा करके स्थाई समिति में बहुमत पाया जा सके। इस समय भाजपा के पास शाहदरा उत्तरी, शाहदरा दक्षिणी, नजफगढ़ और केशव पुरम जोन में बहुमत है। जबकि एल्डरमैन पार्षदों के जरिये उसने नरेला, सिविल लाइंस और मध्य जोन में बहुमत प्राप्त करने की कोशिश की है।
पूर्व महापौर जयप्रकाश ने कहा कि एल्डरमैन का मनोनयन हमेशा सरकार अपने मन मुताबिक करती रही है। कांग्रेस के शासन में भी दस और बीते निगम में आप ने 30 एल्डरमैन अपने मुताबिक ही बनाए थे। फिर बीते दिन पीठासीन अधिकारी अपने अधिकार के तहत पहले किसे शपथ दिलाए वही भूमिका अदा कर रही थी जिस पर ‘आप’ का हंगामा संविधान के विपरीत है। रही बात जोन चुनाव की तो अब भाजपा के पास 123 और आप के पास 151 का आंकड़ा है। सभी पदों का फैसला चुनाव पर छोड़ देना चाहिए।
वहीं निगम में विपक्ष के नेता रहे विकास गोयल का कहना है कि केंद्र सरकार ने पहले तीनों निगमों को मिलाकर एक निगम किया फिर नए सिरे से परिसीमन कराया। 272 वार्ड को 250 वार्ड में तब्दील करने के बाद भी जब आम आदमी पार्टी ने निगम में जीत दर्ज की तो निगम में उपराज्यपाल के द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को एल्डरमैन बनाया और फिर निगम में सबसे वरिष्ठ पार्षद को छोड़कर सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी बनाकर एल्डरमैन को पहले शपथ ग्रहण कराने की नाकाम कोशिश की। भाजपा की मंशा है कि निगम के महापौर और उपमहापौर के चुनाव में एल्डरमैन को वोटिंग कराई जाए और किसी भी तरह निगम में हारने के बावजूद सत्ता पर कब्जा किया जाए।