ओमप्रकाश ठाकुर

हिमाचल प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों और एक संसदीय हलके के लिए हो रहे उप चुनावों में जुब्बल कोटखाई में भाजपा के बागी चेतन बरागटा और फतेहपुर में भाजपा के सांसद रहे व एक अरसे से पार्टी से छिटक चुके राजन सुशांत के चुनाव मैदान में उतरने से मुकाबला तिकोना हो गया है। जबकि अर्की विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला है। लेकिन दोनों दलों में भितरघात की प्रबल संभावनाएं हैै।

मंडी संसदीय हलके में भी कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन यहां पर भी भाजपा में भितरघात की प्रबल संभावनाएं हैं। हालांकि कांग्रेस में सुखराम परिवार को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हंै। सुखराम और उनके पोते आश्रय शर्मा कांग्रेस में है। आश्रय शर्मा कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे थे, जबकि सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा भाजपा के विधायक हैं।

लेकिन एक अरसे से उनके सुर भाजपा को लेकर बगावती बने हुए हंै। इन उपचुनावों की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शर्मा के बीच बंद कमरे में मुलाकात हुई थी। इसके बाद अनिल शर्मा ने कहा था कि उप चुनावों में वह वही करेंगे जो उनके समर्थक कहेंगे। उनके समर्थकों ने क्या कहा है यह अभी उन्होंने साफ नहीं किया है। बहरहाल, यह उपचुनाव भाजपा और जयराम सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं।

सियासी जमीन पर ‘रसोई गैस एक हजार के पार’ और ‘पेट्रोल सौ के पार’ के नारे भाजपा व जयराम सरकार को पसोपेश में डाले हुए हैं। ऐसे में भाजपा अब परिवारवाद, कारगिल युद्ध और राष्ट्रवाद जैसे मसलों को हवा देने में जुट गए हैं। जबकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा था कि भाजपा मोदी सरकार और जयराम सरकार की ओर से बहाई गई विकास के बयार पर सवार होकर इन उपचुनावों में जीत हासिल करेगी।

मंडी संसदीय हलके में कारगिल युद्ध के नायकों में शुमार ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ‘फौज’ और ‘फौजी’ जैसे शब्दों को भुनाने में लगी है। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में हमीरपुर संसदीय हलके से भाजपा ने कारगिल युद्ध के महानायक परमवीर चक्र विजेता बिक्रम बतरा की मां को बुरी तरह से हराया था। उन्हें केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी ने टिकट थमाया था। कारगिल के नायकों व महानायकों को अगर भाजपा इतना सम्मान देती तो वह बिक्रम बतरा की मां को संसद में जरूर पहुंचाती, लेकिन ऐसा हुआ नहीं था। यह सवाल मंडी संसदीय हलके में जरूर उठेगा।

बहरहाल, दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी प्रतिभा सिंह अपने पति व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद सहानुभूति वोट पा सकती है। उनके प्रचार की टैग लाइन ही है-वोट नहीं श्रद्धाजंलि। मंडी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है। ऐसे में जयराम को भरोसा है कि मंडी के लोग अपने मुख्यमंत्री की पीठ नहीं लगाएंगे। लेकिन मंडी के लोग इस बात से खफा हंै कि उन्होंने खजाने का मुंह अपने विधानसभा हलके सिराज और अपने सबसे ताकतवर मंत्री महेंद्र सिंह के हलके धर्मपुर की ओर ही खोले रखा। धर्मपुर हलका मंडी संसदीय हलके में नहीं है वह हमीरपुर संसदीय हलके में है।

जुब्ब्ल कोटखाई में भाजपा के बागी चेतन बरागटा चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में भाजपा यह सीट शायद ही निकाल पाए। यह सीट उनके पिता नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद खाली हुई थी। जयराम सरकार में नरेंद्र बरागटा को हाशिए पर ही रखा गया था। ऐसे में उनके समर्थकों के जेहन में जयराम सरकार के खिलाफ गुस्सा तो है ही। इसी तरह फतेहपुर विधानसभा हलके मे पूर्व सांसद कृपाल परमार को टिकट नहीं दिया गया। हालांकि उन्होंने बगावत नहीं की है लेकिन भितरघात नहीं होगा इसकी गांरटी नहीं है।

इसके अलावा यहां से पूर्व सांसद राजन सुशांत चुनाव मैदान में है जो ज्यादा मत भाजपा के ही काटेंगे। ऐसे में शुरुआती दिनों में कांग्रेस के भवानी सिंह पठानिया अभी तक तो बढ़त में ही माने जा रहे हैं। अर्की विधानसभा हलके में भाजपा के रतन सिंह पाल और कांग्रेस के संजय अवस्थी में कांटे की टक्कर है। यहां दोनों दलों में भितरघात के पूरे-पूरे आसार है लेकिन यहां पर भाजपा का काडर ज्यादा है। अगर भाजपा अपना पूरा काडर बाहर उतार पाई तो उसे बढ़त मिलने की संभावना है। लेकिन अभी प्रचार की शुरुआत भर है। असली तस्वीर आने वाले दिनों में और ज्यादा साफ होकर उभरेगी।

मंडी संसदीय हलके में करगिल युद्ध के नायकों में शुमार ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ‘फौज’ और ‘फौजी’ जैसे शब्दों को भुनाने में लगी है। दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी प्रतिभा सिंह अपने पति व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद सहानुभूति वोट पा सकती है। उनके प्रचार की ‘टैग लाइन’ ही है-वोट नहीं श्रद्धाजंलि।