बंगाल की बीरभूम हिंसा की खौफनाक तस्वीरें वहां के लोगों की वेदनाओं को सुनकर आंखों के सामने घूमने लगती हैं। घटना में अपना सब कुछ गंवा चुके लोग मीडिया के सामने अपनी बात बताते-बताते अपने आंसू रोक नहीं पा रहे हैं। अब उनका न तो पुलिस और न ही किसी अन्य पर ही भरोसा रह गया है। हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। वे सीबीआई से घटना की पूरी जांच कराने की भी मांग कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि उनके बच्चों को मार डाला गया और उन्हें उनके शव तक नहीं दिए गए।

एक पीड़ित ने बताया कि मारे जाने वाले लोगों में उसकी दो बेटियां, दो नातिन, नातिन के पति के अलावा समधन और उनकी बेटी शामिल हैं। कुल दस लोग मारे गए हैं। मरने वालों में तीन ऐसे बच्चे हैं, जिनके मां-बाप नहीं हैं। प्रशासन से मदद के बारे में पूछने पर वे भड़क उठते हैं। उन्होंने कहा कि “प्रशासन चोर है, प्रशासन डकैत है।” वे इतने गुस्से में हैं कि राज्य सरकार पर भी भड़क उठते हैं। कहा कि “सब सरकार की गलती है।”

उनका आरोप है कि उन्हें शव तक नहीं दिया गया। उनसे सब छिपाया जा रहा है। कहा हम लोग तो मरने वाले बच्चों के माता-पिता हैं। हमें तो उनका शव मिलना चाहिए। पुलिस-प्रशासन के सामन काफी मिन्नत के बाद भी शव नहीं मिले। उन्होंने कहा कि उनके पास पूरे काल की रिकार्डिंग है। वे बताते हैं कि घटना के वक्त उनकी नातिन ने उन्हें फोन किया और कहा, “नाना, उन्होंने मेरी मां को मार दिया, मार दिया।”

बताया कि मेरी बेटी ने कहा, “पुलिस को खबर दीजिए, हमारे घर में वो घुस चुके हैं। सब कुछ तोड़ दिया है, मार-पीट हो रही है।” बार-बार उसने मुझे फोन किया। उसके दो मिनट बाद ही उसका फोन नही लग पाया। मेरी बेटी को उन्होंने तब ही मार दिया।

मामूली सी लगने वाली दुश्मनी ने ऐसा खून बहाया, जिसकी दर्दनाक यादें वर्षों सताती रहेंगी। पिछले चुनाव के बाद बंगाल में हिंसा की एक के बाद एक घटनाएं हो रही हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि इस घटना के पीछे किसी भी तरह की राजनीतिक केस नहीं है। यह स्थानीय दुश्मनी का मामला है।