राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव शनिवार को 75 साल के हो गए। इस मौके पर लालू परिवार एक साथ दिखा और राजद नेता ने सरल अंदाज में केक काटा। लालू यादव अब अपना उत्तरीधिकारी एक तरह से अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को घोषित कर चुके हैं। आज राजनीति में लालू यादव भले ही उतने एक्टिव ना हों, लेकिन एक दौर था जब अपने गंवई अंदाज से वो लोगों का ध्यान अपनी ओर भरपूर खींच करते थे और वोट भी वो इसी अंदाज पर ले आते थे।

राजनीतिक में एंट्री- कभी भाई के चपरासी वाले क्वार्टर में रहने वाले लालू यादव जब सीएम बने तो रहने के लिए भी शुरुआत में इसी घर को चुना था। लालू यादव का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले में हुआ था। बचपन मां-पिता के साथ गांव में ही बिता, लेकिन जैसे ही बड़े हुए घर वालों ने पढ़ाई के लिए पटना भेज दिया, जहां उनके बड़े भाई वेटनरी कॉलेज में चपरासी थे। उन्हीं के क्वार्टर में लालू रहने लगे। काफी मेहनतों के बाद जब वो आगे की पढ़ाई के लिए पटना यूनिवर्सिटी पहुंचे तो वहीं से राजनीति में धीरे-धीरे रुचि बढ़ने लगी। छात्र आंदोलन में हिस्सा लिए और आगे चलकर छात्रसंघ के जनरल सेक्रेट्री भी चुने गए।

जेपी के साथ- इंदिरा गांधी के खिलाफ जब जय प्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया तो लालू उनके साथ हो लिए। आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और बिहार में आंदोलन के मुख्य चेहरों में से एक बने रहे। इसी दौरान यह अफवाह भी उड़ी कि लालू यादव पुलिस की गोली के शिकार बन चुके हैं, जिसमें उनकी जान जा चुकी है। इस समय उनकी राबड़ी देवी से शादी हो चुकी थी और वो गौने के बाद ससुराल में ही रह रहीं थीं। हालांकि कुछ समय बाद पता चला कि लालू यादव जिंदा हैं। जब तक सच्चाई राबड़ी देवी तक पहुंची, पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डाल चुकी थी।

जब बने सांसद- आपातकाल के बाद जब चुनाव हुआ तो महज 29 साल की उम्र में लालू यादव सांसद बनकर दिल्ली पहुंच गए। लालू यादव का यहां से राजनीतिक कद बढ़ता गया। 1980 में बिहार विधानसभा पहुंचे और फिर 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री। सीएम बनने के बाद जब सरकारी आवास में रहने की बात आई तो लालू ने अपने संघर्ष के दिनों के आशियाने को ही अपना मकान चुन लिया। लालू यादव उसी चपरासी वाले क्वार्टर में रहने के लिए पहुंचे, जहां से उन्होंने राजनीति की शुरुआत की थी। यहीं पर लालू अपने परिवार के साथ शुरुआत में रहे। राबड़ी देवी इस समय तक एक आम घरेलू महिला ही थी। घर के काम करना और बच्चों को संभालना इसी में उनका दिन गुजर जाया करता था।

राबड़ी बनीं सीएम- लालू यादव जब चारा घोटाले में फंसे और सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो उन्होंने सबको चौंकाते हुए अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया। आलोचनाएं हुईं लेकिन लालू यादव बिहार में पत्नी के सहारे ही सरकार चलाते रहे। लालू जेल से निकले तो फिर दिल्ली की राजनीति में ज्यादा व्यस्त होते दिखे।

रेलमंत्री के रूप में मिली वाह-वाही- 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनीं तो लालू यादव को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलीं। घाटे में चल रही रेलवे को लालू यादव ने फायदे में पहुंचा दिया। देश-विदेश में लालू यादव के मैनेजमेंट की खूब चर्चा हुई। हालांकि 2009 में लालू कांग्रेस से अलग हो चुनाव लड़े और सिर्फ चार सीटों पर ही जीते।

जेल,जमानत और फिर जेल- लालू यादव को चारा घोटाले के कई मामलों में सजा हो चुकी है। कई साल जेल में भी रह चुके हैं। फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। अब उन्होंने अनौपचारिक तरीके से ही सही लेकिन अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को पार्टी की कमान सौंप दी है।