चुनावी रणनीतिकार और हाल ही में जनता दल युनाइटेड में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए प्रशांत किशोर राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और सीएम नीतीश कुमार के बीच सुलह कराना चाहते हैं? रिपोर्ट की मानें तो प्रशांत किशोर ने इस वर्ष नीतीश और लालू के बीच सब कुछ ठीक करने के लिए तीन बार कोशिश की। हालांकि, इन खबरों का खंडन यह कहकर किया जाता रहा है कि ये आम मुलाकात थी या ऐसी कोई मुलाकात ही नहीं हुई थी। बता दें कि आरजेडी, जेडीयू और और कांग्रेस का महागठबंधन बीते साल 26 जुलाई को टूट गया था। नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी। अंग्रेजी अखबार टेलिग्राफ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इस घटना के 9 महीने बाद नीतीश ने लालू के साथ सुलह करने के लिए प्रशांत किशोर को भेजा था। लालू के नजदीकी एक सूत्र के मुताबिक, इस साल अप्रैल में प्रशांत किशोर ने एम्स में भर्ती लालू से मुलाकात की।
ये मुलाकात उस वक्त हुई, जब राज्य में सांप्रदायिक तनाव से जुड़ी खबरें सामने आईं और बीजेपी के कई नेताओं और उनके भाषणों पर सवाल उठने लगे थे। ऐसे ही एक मामले में पुलिस को केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को गिरफ्तार करने में 15 दिन लग गए। आरजेडी के सूत्र के मुताबिक, ‘लालूजी को जब रांची से एम्स शिफ्ट किया गया तो किशोर ने उनसे मुलाकात की थी। उन्होंने लालूजी से अप्रैल के आखिरी हफ्ते में मुलाकात की। जहां तक मेरी जानकारी है, किशोर नीतीश और लालू के बीच सुलह का प्रस्ताव लेकर गए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।’ सूत्र ने यह भी बताया कि जुलाई में किशोर ने लालू के बेटे तेजस्वी यादव से पटना में 1 घंटे से लंबी मुलाकात की।
सूत्र ने बताया, ‘किशोर कुछ वक्त से तेजस्वी से मिलने का वक्त मांग रहे थे। आखिर में 2 जुलाई को मुलाकात हुई। इसके एक दिन बाद लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप ने नीतीश कुमार के लिए नो एंट्री वाला बोर्ड अपने घर पर लगा दिया।’ सूत्र ने यह भी दावा किया कि नीतीश ने यहां तक ऑफर किया कि अगर जेडीयू और आरजेडी का फिर से गठबंधन हो जाता है तो सीएम खुद तेजस्वी को बड़े नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करेंगे। हालांकि, तेजस्वी ने लोगों के सामने छवि बिगड़ने का हवाला देकर ऐसे किसी विचार पर आगे बढ़ने से इनकार कर दिया।
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आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक, इसके बाद किशोर ने तीसरी कोशिश तब की जब लालू मुंबई के एशियन हर्ट इंस्टिट्यूट में अगस्त में भर्ती थे। सूत्रों के मुताबिक, यह मीटिंग तीन घंटे तक चली और लालू समझौते पर विचार भी करने लग गए थे, लेकिन लालू की पत्नी राबड़ी देवी ने कदम खींच लिए और ऐलान कर दिया कि वह नीतीश को महागठबंधन में वापसी का कोई मौका नहीं देंगी। राबड़ी परिवार पर आए संकट (कानूनी पचड़ों) के लिए नीतीश को जिम्मेदार मानती थीं।