मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) पिछले कुछ महीनों से बिहार की राजनीति और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर टिप्पणी कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार ने कहा था कि उनकी टिप्पणियों का कोई मतलब नहीं है और वह अंदरूनी तौर पर भाजपा की मदद कर रहे हैं। वहीं अब प्रशांत किशोर ने कहा है कि फेवीकोल का जोड़ एक बार टूट भी सकता है, लेकिन नीतीश कुमार और उनकी कुर्सी का जोड़ नहीं टूट रहा।

प्रशांत किशोर ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि कुछ नेताओं के मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने कहा, “केवल नेताओं से मिलने और चार नेताओं के साथ चाय पीने से जनता को कोई फर्क नहीं पड़ेगा और इसका चुनाव पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चुनाव लड़ने की आपकी क्षमता, आपकी विश्वसनीयता या एक नया आख्यान बनाने के मामले में इन बैठकों से क्या फर्क पड़ेगा?”

बिहार में हुए राजनीतिक परिवर्तन पर प्रशांत किशोर ने कहा कि इसका राष्ट्रीय स्तर पर कोई असर नहीं होगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि जनता ने 2015 में महागठबंधन को वोट दिया था, लेकिन साल 2020 के पिछले चुनावों में उन्हें (आरजेडी) जीतने नहीं दिया। इसलिए बिहार की राजनीति में बदलाव और दो चुनाव परिणामों के बीच के अंतर से देश की राजनीतिक स्थिति प्रभावित नहीं होगी।

प्रशांत किशोर ने कहा कि पहले महाराष्ट्र में महागठबंधन की सरकार थी, वर्तमान में एनडीए की सरकार है, लेकिन इसका असर बिहार पर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के महत्व को अनुचित महत्व दिया गया और राष्ट्रीय राजनीति पर इसका प्रभाव न के बराबर होगा।

बता दें कि नीतीश कुमार पर प्रशांत किशोर का यह बयान नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के बाद आया है। नीतीश कुमार ने बीते दिनों दिल्ली का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने प्रमुख विपक्षी दलों के 10 पार्टी अध्यक्षों से मुलाकात की है। नेताओं से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि सभी विपक्षी राजनीतिक दलों का एकजुट होना जरूरी है। अगर सब एकजुट हो गए तो यह 2024 में देश के हित में होगा।