बिहार के सियासी संकट को टालने की अमित शाह ने हर मुमकिन कोशिश की। उन्होंने 2 दिन पहले नीतीश कुमार को फोन किया था तो बिहार के सीएम ने आश्वस्त किया था कि “चिंता मत करिए”। कभी नीतीश के बेहद करीबी बीजेपी नेताओं में शुमार पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक खबरिया चैनल पर ये दावा किया।
NDTV की खबर के मुताबिक बीते डेढ़ सालों में पीएम मोदी ने कई दफा नीतीश से खुद बात की। लेकिन कभी भी उन्होंने कोई शिकायत नहीं की। अगर उन्हें कोई परेशानी थी तो कहना चाहिए था। उनका कहना था बीजेपी को सपने में भी गुमान नहीं था कि नीतीश गठबंधन को तोड़कर राजद से हाथ मिला सकते हैं।
उधर बीजेपी के एक नेता आरके सिंह ने कहा कि 2020 में उन लोगों को लग गया था कि नीतीश एक बोझ हैं। कई नेताओं का मानना था कि बीजेपी को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए। लेकिन आलाकमान ने नीतीश का सम्मान कर उन्हें गठबंधन में बनाए रखा। बकौल आरके सिंह अब लगता है कि फैसला गलत था।
ध्यान रहे कि नीतीश ने सीएम पद की शपथ लेते ही कहा कि 2014 में जो पीएम बन गए थे वो 2024 में बनेंगे, ये देखना है। उनकी बात से साफ जाहिर है कि वो इस बार विपक्ष की धुरी बनकर पीएम मोदी को आम चुनाव में चुनौती देने वाले हैं।
बीजेपी के एक नेता मानते हैं कि महाराष्ट्र में जो कुछ उद्धव के साथ हुआ उसके बाद से नीतीश सचेत हो गए थे। तभी गठबंधन टूटा। उनका कहना है कि RCP को जिस तरह से बीजेपी ने अपनी गोद में बिठाया उससे लगने लगा कि वो शिंदे बन सकते हैं। नीतीश राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। उन्होंने RCP के पर पहले ही कतर दिए। उनकी वजह से वो केंद्रीय मंत्री भी नहीं रहे।
हालांकि बिहार का सियासी घटनाक्रम बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। भगवा दल के नेता भी मानते हैं कि एक बेहतरीन नेता के लिए तरस रहे विपक्ष को नीतीश संजीवनी दे सकते हैं। उनका पहला कदम उस तरफ दिखा जब उन्होंने सोनिया गांधी को फोन किया।