सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के कुख्यात बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन को सीवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चंदा बाबू और पत्रकार राजीव रंजन की पत्नी आशा रंजन की अपील पर बिहार से बाहर की जेल में शहाबुद्दीन को ट्रांसफर करने का फैसला सुनाया और बिहार सरकार से कहा कि वह उन्हें तिहाड़ भेजने का इंतजाम करे। ऐसे में एक बार 10 सितंबर, 2016 की वह तस्वीर जेहन में कौंधती है, जब शहाबुद्दीन को भागलपुर कैंप जेल जमानत पर रिहा किया गया था। वह शनिवार की सुबह थी और जेल के बाहर कई चमचमाती गाड़ियां और झक सफेद लिबास पहने नेता बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, शहाबुद्दीन का। सैकड़ों गाड़ियों का काफिला जूलूस की शक्ला में निकला, रास्ते के सारे टोल नाके खोल दिए गए थे। तब मीडिया से बातचीत में शहाबुद्दीन ने नीतीश कुमार को ‘परिस्थितिजन्य मुख्यमंत्री’ कह दिया था।
शहाबुद्दीन 11 साल से कई आपराधिक मामलों में जेल में बंद थे। उनके वकील अभय कुमार रंजन के मुताविक पांच अपराधिक मामले में निचली अदालत से शहाबुद्दीन को सजा हो चुकी है। 2014 में सीवान में हुई राजीव रोशन हत्या कांड में पटना उच्च न्यायालय ने 7 सितंबर 2016 को जमानत मंजूर कर ली। न्यायमूर्ति जितेंद्र मोहन शर्मा की पीठ ने उनकी अर्जी पर सुनवाई की। उसी दिन जेल से बाहर आने का शहाबुद्दीन का रास्ता साफ हो गया। चूंकि वे सीवान जेल के कैदी थे इस वजह से पटना उच्च न्यायालय का जमानत आदेश सीवान ज़िला जज के इजलास में दाखिल करना पड़ा। वहां से सीवान जेल और फिर भागलपुर जेल जमानत आदेश लाया गया। कानूनी प्रक्रिया की वजह से शहाबुद्दीन को दो दिनऔर जेल में बंद रहना पड़ा।
मालूम रहे कि कुल 26 मामले शहाबुद्दीन के खिलाफ अंतिम सुनवाई के लिए अदालत में लंबित है। इन सभी में इनको जमानत मिल चुकी है। इनमें 9 मामले वे भी है जो फैसले के खिलाफ दायर आपराधिक अपील है। 16 अगस्त 2004 को सीवान के चंद्रशेखर प्रसाद के दो पुत्र गिरीश और सतीश का अपहरण उनके गौशाला रोड स्थित मकान से कर लिया गया था। उन दोनों को प्रतापपुर गांव लाया गया और तेजाब उड़ेल दिया गया। नतीज़तन दोनों की मौत हो गई थी। इनका तीसरा भाई राजीव रंजन भागने में सफल रहा । यह इन दोनो हत्या का चश्मदीद था। जिसकी हत्या 14 जून 2014 में सीवान में ही कर दी गई। इसी मामले में बंदी थे। उसी में जमानत पटना उच्च न्यायलय से मिली थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था।
1996 से 2009 तक सीवान से चार दफा लालू प्रसाद की पार्टी राजद की टिकट पर चुनाव जीत सांसद बने शहाबुद्दीन बिहार पुलिस की सूची का ए क्लास हिस्ट्रीशीटर है। नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री की पहली पाली में बिहार के हिस्ट्रीशीटरों को सजा दिलाने के लिए कई विशेष अदालतों का गठन किया था। यह तो जानकारी में है कि 13 मई 2016 को सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या हुई थी। इसके बाद 19 मई शहाबुद्दीन शाहबुद्दीन को भागलपुर जेल शिफ्ट करने का आदेश जेल आईजी आनंद किशोर ने दिया। और उसी रोज रात के अंधेरे में उन्हें यहां की कैंप जेल यानी विशेष केंद्रीय कारागार लाया गया। तब से ये जेल के तृतीय खंड में बंदी थे। इस बीच इन्हें चार दिनों के लिए इलाज के वास्ते दिल्ली एम्स ले जाया गया था। आज करीबन 11 सालों बाद जेल से जमानत पर छूटने पर मीडिया से बात करते वक्त नीतीश कुमार को परिस्थिति जन्य मुख्यमंत्री कहकर एक तरह से ललकारा। इसके बाद बिहार सरकार सक्रिय हो गई। उस रोज उनके स्वागत में राजद के कई विधायक, सांसद और कार्यकर्ता जेल गेट के बाहर खड़े थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अपने तीन बेटे गवां चुके चंदा बाबू सुकून महसूस कर रहे है उनके केस की पैरवी करने वाले प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण को भगवान बता रहे है। वे कहते है कि मुझपर पूरा दबाव है। लेकिन मेरे पास अब खोने के लिए कुछ भी नहीं है। भगवान पर भरोसा है। उनके घर देर है अंधेर नहीं।