बिहार में हाल ही में हुए दो विधानसभा सीटों के लिए उपचुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन और 2020 के विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद, चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) एमएलसी सीटों के चुनाव के लिए एक नया राजनीतिक गठजोड़ बनाने का रास्ता तलाशती दिखाई दे रही है। हुलास पांडेय की अध्यक्षता में शनिवार को हुई पार्टी की बैठक में राज्य संसदीय बोर्ड के सदस्य इस बात पर एकमत दिखाई दिए कि पार्टी को विधान परिषद का चुनाव लड़ना चाहिए लेकिन अकेले नहीं।

लोजपा (रामविलास) के प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने बताया, ‘इस संबंध में राज्य संसदीय बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा जाएगा। बैठक में मौजूद सभी नेता एक गठबंधन चाहते थे और हम इसको लेकर विकल्प तलाशने के लिए अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ रहे हैं। यह गठबंधन एनडीए के साथ होगा या किसी अन्य दल के साथ, यह हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को तय करना है।”

इस मामले को करीब से देख रहे लोगों ने कहा कि संभवत: पार्टी राजद के साथ गठबंधन करेगी और चिराग पासवान पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर 28 नवंबर को इसको लेकर कोई घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों के हवाले से ये भी कहा गया है कि राजद ने विधान परिषद की 24 सीटों में से चिराग पासवान की पार्टी को 5-6 सीटों की पेशकश की है।

लोजपा (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने इस मामले को लेकर पूछे जाने पर कहा, ‘हम गठबंधन को लेकर बातचीत कर रहे हैं, लेकिन ये नहीं कह सकते हैं कि ये गठबंधन किसके साथ होगा क्योंकि ये अभी शुरुआती दौर में है।” वर्तमान में, लोजपा (रामविलास) का बिहार के किसी भी सदन में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। इनके पास इकलौता विधायक था जो जेडी (यू) में शामिल हो गया, जबकि पार्टी में दो धड़े होने के बाद, लोजपा (रामविलास) के पास चिराग पासवान के रूप में लोकसभा में केवल एक सांसद है।

बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान अपनी पार्टी के साथ बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हुए थे। वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने जद-यू के प्रत्याशियों के खिलाफ अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतार दिए थे। इस चुनाव में चिराग की पार्टी भले ही कोई सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई लेकिन इससे नीतीश कुमार की पार्टी को काफी नुकसान हुआ।