बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की तत्परता और लोगों की जागरूकता की वजह से राज्यवासी कोरोना से जंग जीत रहे है। पहली मई को जहां संक्रमण की दर 16 फीसदी तक पहुंच गई थी। वहां पहली जून को गिरकर एक फीसदी रह गई है। यह लोगों की सक्रियता व जागरूकता का ही परिणाम है। साथ ही संक्रमण से रिकवरी रेट में लगातार इजाफा हो रहा और यह करीब 98 फीसदी पर आ गया है। बावजूद स्वास्थ्य विभाग सतर्क है और आवश्यक संसाधन जुटा रहा है। शुक्रवार को केंद्र से और 80 आक्सीजन कंसंट्रेटर पटना पहुंचा है।
उन्होंने शुक्रवार को कहा कि विशेषज्ञों द्वारा तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए राज्य के सभी सरकारी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल समेत जिला अस्पतालों में नीकू, पीकू एवं एसएनसीयू की व्यवस्था को दुरूस्त किया जा रहा है। साथ ही ब्लैक फंगस से बचाव हेतु दवा उपलब्धता पर विभाग द्वारा नजर रखी जा रही हैं। प्रति मरीज 4 से 5 लाख रुपये तक की दवा सरकारी अस्पतालों में ब्लैक फंगस के मरीजों को दी जा रही है। अब तक लगभग 14 हजार एम्फोटेरिसीन इंजेक्शन राज्य के विभिन्न अस्पतालों में उपलब्ध करायी गयी है।
स्वास्थ्य मंत्री पांडेय ने कहा कि बीमारी से जूझना आसान है, पर महामारी से लड़ना कठिन है। इस युक्ति को ध्यान में रखकर बिहार सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ चरणबद्ध तरीके से कोरोना वायरस के खिलाफ जंग को जारी रखा है। इसके तहत ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट एवं ट्रैकिंग के तहत कार्रवाई करते हुए राज्य में चिकित्सीय संसाधन एवं बेहतर सुविधा को बढ़ाने लिए स्वास्थ्य विभाग हर जरूरी कदम उठा रहा है। जिसका सुखद परिणाम है कि आज कोरोना से जंग में बिहार सफलता प्राप्त कर रहा है। 1 मई 2021 को राज्य में कोरोना संक्रमण की दर जहां 16 प्रतिशत के करीब था, वहीं एक महीने में यह दर मात्र 1 फीसदी रह गया है। प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा कोरोना सैंपलों की जांच हो रही है। राज्य में 5 चलंत आरटीपीसीआर जांच वाहनों द्वारा भी प्रतिदिन हजारों लोगों का कोरोना जांच किया जा रहा हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार संभावित तीसरी लहर को लेकर विस्तृत कार्य योजना पर काम कर रही है। इसके तहत तहत राज्य में टीकाकरण की रफ्तार को और गति देना है। साथ ही साथ विभाग द्वारा गांव एवं शहर में टीकाकरण के लिए बेहतर माहौल का निर्माण करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके तहत गांव-गांव में जाकर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना की टीका को लेकर फैली भ्रांति को ठीक करना है। इसका लाभ मिल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को टीका लगाने के लिए पहले से ग्रामीण क्षेत्रों में 718 टीका एक्सप्रेस चलाये जा रहे हैं। गुरुवार को भी शहरी क्षेत्रों के लिए 121 टीका एक्सप्रेस को माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रवाना किया गया हैै, ताकि वैक्सीनेशन में और तेजी आ सके। हरेक चलंत टीकाकरण वाहन का लक्ष्य 45 साल और उनके ऊपर आयु के दो सौ लोगों को टीका लगाने का तय किया गया है। यह वाहन शहर व गांव के हरेक वार्ड में जाकर टीकाकरण कर रही है। साथ ही टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक भी कर रही है।
दरअसल गांवों में टीकाकरण में कई परेशानियां झेलनी पड़ रही है। लोगों के बीच अफवाहों का बाजार गर्म है। भागलपुर के सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा बताते है कि ग्रामीण आबादी को टीकाकरण कराने के वास्ते जागरूक करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। लोग टीका लेना नहीं चाह रहे है। उनके बीच तरह-तरह की भ्रांतियां फैली है। फिर भी कोशिश है कि टीका लोग लगवा लें।