दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विवि के फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार वो चर्चा में हैं बिहार को लेकर। दरअसल सूबे के कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोगन झा के इस्तीफे के बाद सोनिया गांधी बिहार के लिए ऐसे तेजतर्रार नेता की तलाश कर रही हैं जो बीजेपी के साथ राजद और नीतीश को कड़ी चुनौती देने में समर्थ हो। कन्हैया का नाम बिहार कांग्रेस के पद के लिए फिलहाल सबसे आगे चल रहा है।
सूत्रों का कहना है कि अगर राहुल गांधी की चली तो कन्हैया के सिर पर बिहार कांग्रेस का ताज दिख सकता है। जेएनयू के छात्रनेता की कांग्रेस में एंट्री का कारक राहुल ही थे। जिस तरह के हालात सूबे में हैं उसमें कन्हैया के नाम की लाटरी खुलने के ज्यादा आसार हैं। इसकी एक बड़ी वजह उनका तेजतर्रार होने के साथ भूमिहार जाति से होना है। ये तबका फिलहाल बीजेपी के साथ देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि कन्हैया के सिर पर ताज सजता है तो भूमिहार कांग्रेस के पाले में आ सकते हैं। पार्टी को जिंदा करने के लिए ये बहुत जरूरी है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक वैसे कई और नेता भी इस रेस में शामिल हैं। सदाकत आश्रमा के साथ मीरा कुमार, तारीक अनवर, दलित नेता राजेश कुमार के साथ सीएलपी के पूर्व नेता अशोक राम का नाम भी शामिल है। मुस्लिम तबके के किसी नेता को कमान देने की बात आई तो अहमद खान सबसे आगे हैं। किसे बिहार का चार्ज मिलेगा ये अभी परदे के पीछे ही है।
वैसे देखा जाए तो आज के हालात में कन्हैया कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता हैं। लालू की राजद ने कांग्रेस का दामन झटक दिया है। बीजेपी इस सूबे में आक्रामक राजनीति कर रही है। हाल के दौर में जिस तरह से धार्मिक जुलूसों पर पथराव की घटनाएं सामने आईं उसमें माना जा रहा है कि कांग्रेस को ताकत के साथ सामने आना होगा। वरना सूबे में उसके सामने वजूद बचाने का ही संकट पैदा हो जाएगा।
बीते चुनाव में कांग्रेस और राजद ने मिलकर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के खाते में 19 सीटें ही आ सकीं। राजद के सत्ता तक न पहुंचने की वजह कांग्रेस को ही माना जा रहा है। ऐसे में उसे साबित करना होगा कि वो अब भी यहां पर प्रासंगिक हैं।