लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बिहार में बीजेपी एनडीए का कुनबा बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी बिहार में चिराग पासवान की पार्टी से गठबंधन करेगी और हो सकता है कि कुछ ही दिनों में केंद्र सरकार में उन्हें मंत्री भी बना दिया जाए। चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस इस समय केंद्र सरकार में मंत्री हैं। उन्हें चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद मंत्री पद दिया गया था।

साल 2021 में रामविलास पासवान के निधन के बाद लोकजनशक्ति पार्टी दो धड़ों में विभाजित हो गई थी। चुनाव आयोग ने चिराग पासवान की पार्टी को LJP(R) नाम दिया था जबकि पशुपति कुमार पारस की पार्टी को NLJP नाम दिया गया। केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस बिहार के हाजीपुर से सांसद हैं और वर्तमान में फूड प्रोसेसिंग एंड इंडस्ट्रीज मंत्रालय संभाल रहे हैं।

वैसे तो सियासत में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन पासवान चाचा और भतीजे पहले ही यह स्पष्ट चुके हैं कि वो कभी भी साथ नहीं आ सकते। हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी के NLJP में विलय का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। चिराग ने कहा कि वो अपने चाचा की सीट हाजीपुर लोकसभा से भी उम्मीदवार उतारेंगे।

खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का हनुमान बता चुके चिराग पासवान 2014 से ही बीजेपी के साथ गठबंधन के पक्ष में रहे हैं लेकिन पिछले बिहार विधानसभा चुनाव से ही बीजेपी उन्हें लटकाए हुए है। अब 2024 में बिहार में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिश कर रही है और चिराग पासवान से फिर से संपर्क साध रही है। बीते रविवार को बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने चिराग पासवान के साथ मीटिंग की। बीजेपी और LJP (R) से जुड़े सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।

क्या पशुपति पारस को हटाएगी बीजेपी?

चिराग के चाचा पशुपति पारस से जुड़े एक सूत्र ने दावा किया कि चिराग को कैबिनेट में शामिल करने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें हटाया जाएगा। सूत्र की तरफ से दावा किया गया, “पारस को हटाने से बीजेपी को नुकसान हो सकता है। बीजेपी इंतजार करेगी और देखेगी कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले चाचा और भतीजे के बीच समझौता होता है या नहीं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीजेपी के पास पारस के लिए प्लान बी हो सकता है।”

बता दें कि चिराग पासवान अपनी पार्टी के एकमात्र सांसद हैं जबकि NLJP के 5 सांसद हैं। हालांकि बीजेपी चिराग पासवान को एसेट के तौर पर देखती है। कहा जा रहा है कि चिराग पासवान द्वारा किया गया बिहार का दौरा और हाल के कुछ कार्यक्रमों ने उनके पक्ष में काम किया है।

LJP(R) के एक नेता ने तो यहां तक दावा किया है कि बीजेपी अब पारस को एक बोझ मान रही है और उसे चिराग पासवान को साथ लेने में फायदा नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने पहले चिराग को कमजोर करने की कोशिश की लेकिन अब उसे समझ आ रहा है कि अकेले चिराग को अपने पिता का राजनीतिक प्रभाव विरासत में मिला है। बीजेपी यह भी जानती है कि NLJP के कुछ सांसद चिराग के संपर्क में हैं और 2024 में LJP(R) के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

बीजेपी को किससे फायदा?

बीजेपी अगर लोकसभा चुनाव में चिराग और पशुपति पारस को साथ लाने में सफल रहती है तो ये उसके लिए निश्चित ही फायदे का सौदा होगा। बीजेपी पहले ही जीतनराम मांझी की पार्टी HAM (S) को साथ ले चुकी है। इसके अलावा बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLJP और मुकेश सहनी की पार्टी VIP से भी गठबंधन कर सकती है।

करिश्माई नेता थे रामविलास पासवान

जेपी आंदोलन से उभरे रामविलास पासवान को भी लालू यादव, नीतीश कुमार की तरह करिश्माई नेता माना जाता था। उन्होंने साल 2000 में LJP की स्थापना की थी। OBC वर्चस्व वाली बिहार की सियासत में उन्होंने LJP के रूप में दलितों की एक पार्टी बनाने का प्रयास किया। साल 2005 के चुनाव में उनकी पार्टी को 29 विधानसभा सीटों पर जीत मिली और करीब 12 फीसदी वोट हासिल हुए। इसके बाद के चुनावों में भी LJP को 6-8 फीसदी के बीच में वोट मिलता रहा। 2014 के चुनाव में LJP ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 6 सीटें जीतीं। 2019 में LJP ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा और जीती।