असेंबली चुनाव की तरह बिहार विधान परिषद चुनाव में भी जदयू को झटका लगा है। एनडीए घटक के तौर पर बीजेपी ने उसकी तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया तो राजद ने भी उसे पीछे छोड़ दिया। 24 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने सात, जदयू ने पांच, राजद ने छह और कांग्रेस व रालोजपा(पारस) ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की है। चार सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी है।

बिहार विधान परिषद चुनाव में बीजेपी ने 12, जनता दल यूनाइटेड ने 11 और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने एक सीट पर अपना उम्मीदवार उतारा था। बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं। बदले सियासी समीकरण के बावजूद एनडीए की बढ़त बरकरार है। राजद को पिछले चुनाव की तुलना में इस बार दो सीटें ज्यादा मिली हैं।

2015 के एमएलसी चुनाव की तुलना में इस बार समीकरण थोड़ा बदला हुआ रहा। पिछले विधान परिषद की 24 सीटों के चुनाव में कांटे की टक्कर में जहां महागठबंधन जदयू-राजद व कांग्रेस को कम सीटों से संतोष करना पड़ा था, वहीं एनडीए को बढ़त मिली थी। इस बार भी एनडीए को बढ़त मिली है, लेकिन अभी एनडीए में जदयू-भाजपा व रालोजपा शामिल हैं। जबकि महागठबंधन में इस बार केवल राजद व भाकपा हैं। कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा था। मुकाबला इस बार एनडीए व राजद-भाकपा गठबंधन के बीच ही रहा।

तेजस्वी यादव के लिए ये चुनाव बेहतरीन रहा। राजद ने पिछले चुनाव की तुलना में दो सीटें अधिक हासिल कीं। पिछले चुनाव में राजद को चार सीटें हासिल हुई थीं, जबकि इस बार उसे छह सीटें मिली हैं। राजद के विधान परिषद में वर्तमान में पांच सदस्य हैं। छह नए सदस्यों के जीत दर्ज करने के बाद विधान परिषद में राजद के सदस्यों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। कांग्रेस ने एक सीट पिछले चुनाव में जीती थी। इस बार भी कांग्रेस ने एक सीट हासिल की है।

खास बात है कि शराबबंदी के साथ कुछ और चीजों को लेकर बीजेपी नीतीश कुमार पर हमलावर है। यहां तक कि सीएम को बदलने की मांग भी की जा रही है। विधान परिषद के परिणाम के बाद नीतीश अपने नेताओं को ढांढस बंधाते देखे गए। उनका कहना था कि चिंता करने की बात नहीं। हालांकि, जानकार कहते हैं कि ताजा परिणाम के बाद बीजेपी की सीएम बदलने की मांग और ज्यादा मुखर होने वाली है।