बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का चुनाव प्रचार थम चुका है। 6 नवंबर को पहले चरण के लिए वोटिंग होगी। पूरे चुनाव के दौरान बिहार का सीमांचल चर्चा में रहा। यह मुस्लिम बहुल इलाका है और यहां पर एआईएमआईएम ने प्रत्याशी उतार कर प्रमुख राजनीतिक दलों (खासकर महागठबंधन) की धड़कनें बढ़ा दी हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM बिहार में 32 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसके 90 फ़ीसदी से अधिक उम्मीदवार मुस्लिम बहुल इलाकों से हैं।

6 नहीं दिया, अब 36 लेंगे- शोएब जमई

असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी पहले बिहार में महागठबंधन में शामिल होना चाहती थी और इसके लिए उन्होंने राजद प्रमुख लालू यादव और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को पत्र भी लिखे थे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। समाचार चैनल आजतक पर एक डिबेट चल रही थी जिसमें एआईएमआईएम के नेता शोएब जमई भी मौजूद थे। डिबेट के दौरान ही शोएब जमई ने तेजस्वी यादव और कांग्रेस को चेतावनी देते हुए कहा कि जैसे महाभारत में कौरवों से पांच गांव पांडवों से मांगे थे और नहीं दिया, तो महाभारत हुआ। इस प्रकार से हमने भी महागठबंधन से 6 सीटों मांगी थी, नहीं मिली लेकिन अब 36 देकर चुकाएंगे।

शोएब जमई ने तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने कहा था ओवैसी साहब के कपड़े और चेहरे को देखकर लगता है कि वो एक्सट्रीमिस्ट हैं। शोएब जमई ने तेजस्वी यादव को चैलेंज देते हुए कहा कि वह एक्सट्रीमिस्ट इंग्लिश में लिखकर दिखा दें, तो मैं मान जाऊं।

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2020 में ओवैसी के जीते थे 4 विधायक

2020 के विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी ने सीमांचल में 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इसमें से पांच उम्मीदवारों ने जीत भी दर्ज की थी। ऐसे में ओवैसी की पार्टी का स्ट्राइक रेट 25 फीसदी था। हालांकि कुछ समय बाद ओवैसी के पांच में से चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे।

सीमांचल में मुस्लिम वोट महत्वपूर्ण

बिहार का सीमांचल इलाका मुस्लिम बहुल इलाका है और यहां पर 24 विधानसभा सीटें आती हैं। इस इलाके में महागठबंधन को ओवैसी के उम्मीदवारों से नुकसान हो सकता है। दरअसल मुसलमान वोट बैंक महागठबंधन का माना जाता है लेकिन जब से ओवैसी आए हैं, उन्हें भी अच्छी संख्या में मुस्लिम वोट मिलता है।