केन्द्र की मोदी सरकार में जेडीयू के शामिल ना होने की बिहार में काफी चर्चा है। अब इन्हीं चर्चाओं के बीच खबर आयी है कि बिहार के सीएम और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार आज अपने कैबिनेट में विस्तार करने जा रहे हैं। खास बात ये है कि यह कैबिनेट विस्तार केन्द्र सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के ठीक तीन दिन बाद हो रहा है। ऐसी खबरें हैं कि इस विस्तार के तहत बिहार सरकार में 6 नए मंत्री शामिल किए जा सकते हैं। गौरतलब है कि इन कैबिनेट विस्तार में भाजपा को जगह नहीं दी जा रही है और सभी नए मंत्री जदयू कोटे से ही बनाए जाएंगे। माना जा रहा है कि जदयू ने मोदी सरकार में जगह नहीं दिए जाने पर भाजपा को जवाब दिया है! बता दें कि भाजपा ने जदयू को केन्द्र में एक मंत्री पद की पेशकश की थी, जिसे संतुष्ट ना होने पर जदयू ने केन्द्र सरकार से बाहर ही रहने का फैसला किया। दरअसल जदयू अनुपातिक आधार पर सरकार में हिस्सेदारी चाहती थी।

केन्द्र सरकार में बिहार के 5 नेताओं को जगह दी गई है। जिनमें से 4 सवर्ण और एक पिछड़ी जाति के हैं। नीतीश ने परोक्ष रुप से पिछड़ी जाति के नेताओं को और प्रतिनिधित्व देने की बात भी कही थी। अब जब नीतीश बिहार में अपनी सरकार के मंत्रीमंडल का विस्तार कर रहे हैं, तो उनके दिमाग में आगामी विधानसभा चुनाव का ध्यान यकीनन होगा। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार कैबिनेट विस्तार में पिछड़ी जाति के नेताओं को तरजीह दे सकते हैं, ताकि बिहार में पिछड़े वर्ग और अति पिछड़े वर्ग को सकारात्मक संदेश दिया जाए। बिहार में पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़े वर्ग का बड़ा जनाधार है। हालांकि जदयू ने कैबिनेट विस्तार को भाजपा के साथ किसी नाराजगी से जोड़ने से इंकार किया है। जदयू नेताओं का कहना है कि बीजेपी कोटे के मंत्री पहले ही बनाए जा चुके हैं और हाल में जो पद खाली हुए हैं, वो जदयू कोटे के हैं। हालांकि मौजूदा राजनैतिक परिस्थिति ने बिहार के सियासी पारे में थोड़ी बढ़ोत्तरी तो की ही है।

ऐसी खबरें हैं कि नीतीश कुमार के कैबिनेट में जो विस्तार किया जाएगा, उसके तहत जदयू नेता नीरज कुमार, रंजू गुप्ता, अशोक चौधरी, श्याम रजक और ललन पासवान को मंत्री बनाया जा सकता है। वहीं नीतीश कुमार की कैबिनेट के विस्तार पर राजद नेता सुबोध राय का कहना है कि राजनीति में कोई भी स्थायी दोस्त और स्थायी दुश्मन नहीं होता है। राजनीति में कुछ भी संभव है। सुबोध कुमार ने भाजपा-जदयू के संबंधों पर चुटकी लेते हुए कहा कि आने वाले दिनों में कुछ भी संभव है। हालांकि जदयू नेताओं ने राजद नेता के इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया और इसे हालिया लोकसभा चुनावों में राजद की करारी हार की खीझ करार दिया।