बिहार में पहली बार किसी नागरिक को CAA के तहत भारतीय नागरिकता दी गई है। बिहार के आरा की रहने वाली सुमित्रा रानी साहा को भारतीय नागरिकता मिली है। हालांकि इसके लिए उन्होंने 40 साल तक मुसीबतों का सामना करना पड़ा। सुमित्रा रानी की शादी 1985 में हुई थी। उसके बाद वह बिहार के भोजपुर जिले में बस गई थीं। सुमित्रा का पूरा परिवार यहीं पर है। लेकिन वह अभी तक विदेशी नागरिक थी।

बार-बार वीजा को कराना पड़ता था रिन्यूअल

सुमित्रा की उम्र अब 60 साल है। भारत में उन्हें रहने के लिए बार-बार वीजा को रिन्यूअल कराना पड़ता था। ऐसे में वह स्थाई रूप से भारतीय नागरिक बनना चाहती थी। जब केंद्र ने CAA का बिल पारित किया, तब उनके मन में आस जगी। अब विदेश मंत्रालय, सीबीआई, पासपोर्ट विभाग, बिहार सरकार, सीआईडी और डाक विभाग की जांच के बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिल गई है।

सुमित्रा रानी के पति का निधन हो गया लेकिन उनका जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा। उनकी तीन बेटियां हैं और तीनों ही बेटी लगातार उन्हें भारत की नागरिकता देने के लिए मेहनत करती रहीं। आखिर में 39 साल बाद सुमित्रा रानी को भारत की नागरिकता मिली है।

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सुमित्रा रानी की बेटी को जैसे ही CAA की जानकारी प्राप्त हुई, तुरंत उन्होंने आवेदन कर दिया था। परिवार ने इसके लिए पूरी प्रक्रिया का पालन किया। डाक अधीक्षक पवन कुमार ने बताया कि गोपनीय तरीके से पूरी जांच की गई है और सही पाए जाने पर कमेटी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के आधार संख्या IIIA अनुभाग के अंतर्गत 5 (1) (C) के तहत महिला को नागरिकता प्रदान कर दी है।

बांग्लादेशी बोलकर मारते थे ताने

सुमित्रा रानी ने समाचार चैनल न्यूज़ 18 से बात की और कहा कि उन्होंने 40 साल से हर जगह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। उन्होंने बताया कि जब भी पड़ोसियों के साथ किसी बात को लेकर विवाद होता था तो लोग बांग्लादेशी होने का ताना भी मारते थे। लोग यह भी कहते थे कि यह बांग्लादेशी है और इसे सपोर्ट नहीं करना है और यहां पर संपत्ति भी नहीं देना है। सुमित्रा ने कहा कि कभी-कभी पुलिस वाले भी आते थे और कहते थे कि आप बांग्लादेश चले जाइए, आपका यहां पर कुछ भी नहीं है, लेकिन हमने हार नहीं मानी और लड़ाई जारी रखी। सुमित्रा रानी इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद किया।