बिहार विधान परिषद चुनावों के बीच NDA में चल रहा घमासान अब और तेज होता दिख रहा है। बीजेपी को लगातार तेवर दिखा रहे विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी को बुधवार को उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब उनके दल के सभी तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। राजू सिंह, मिश्री लाल और सवर्ण सिंह वीआईपी को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने तीनों विधायकों को मान्यता भी दे दी।
वीआईपी के पास कुल तीन ही विधायक थे, मुकेश सहनी खुद एमएलसी हैं। राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी और वीआईपी पार्टी के तीनों विधायकों ने बिहार विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की है। अब बिहार विधानसभा में वीआईपी के नेता के तौर पर अकेले मुकेश सहनी ही बचे हैं, जो कि विधान परिषद सदस्य हैं। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि उनका भी कार्यकाल कुछ हफ्तों का ही बचा है।
मुकेश सहनी इस समय NDA के सदस्य हैं और नीतीश कुमार की सरकार में पशुपालन मंत्री हैं। बिहार विधानसभा परिषद चुनाव में उन्होंने एनडीए के साथ रहते हुए बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया। पिछले कुछ हफ्तों से उनकी बीजेपी के साथ जोरदार खटपट चल रही थी। यूपी चुनाव में भी वीआईपी ने बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे। इन तीनों विधायकों के बीजेपी में जाने से पहले वीआईपी के एक अन्य सदस्य अमर पासवान ने राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया। बोचहां विधानसभा सीट पर 12 अप्रैल को होने वाले उपचुनाव के लिए अमर पासवान को ही उम्मीदवार बनाया जाना थे, लेकिन पार्टी के घोषणा करने से कुछ घंटे पहले उन्होंने दल बदल लिया।
मुकेश सहनी ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी 53 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए थे। इस समय बिहार में विधान परिषद की 24 सीटों पर स्थानीय निकाय कोटे से इलेक्शन हो रहे हैं। वीआईपी ने एनडीए के सहयोगियों को 15 सीटों पर समर्थन देने की घोषणा की थी, इनमें 11 जदयू के खाते वाली हैं, जबकि तीन सीटों पर उसने बीजेपी को भी समर्थन की घोषणा की है। एक सीट पर रालोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी- रामविलास) को समर्थन देने का फैसला किया गया और नौ सीटों पर वीआईपी ने खुद चुनाव लड़ रही है।