राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को कहा कि यदि बिहार में जल प्रबंधन प्रभावी ढंग से लागू हो जाए तो उन्हें लगता है कि अगली हरित क्रांति की शुरुआत का गौरव प्रदेश को मिलेगा। यहां तीसरे कृषि रोडमैप (2017-22) की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘खेती के विकास के लिए हमें जल प्रबंधन की दिशा में अधिक से अधिक काम करने की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि आज शुरू की गई नौ योजनाओं में से चार योजनाएं जल संसाधन के प्रबंधन से जुड़ी हैं।’ उन्होंने कहा कि राज्य एवं केंद्र स्तर पर पारस्परिक विमर्श एवं समन्वय जारी रखते हुए जल प्रबंधन की प्रभावी प्रणालियों का विकास करते रहना चाहिए। इससे बाढ़ पर नियंत्रण करने और सूखे के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी। पारंपरिक जल स्रोतों को भी रिचार्ज करने की जरूरत है। उन्हें खुशी है कि कुछ जिलों में ‘आहर’ और ‘पईन’ प्रणाली को भी पुनर्जीवित किया जा रहा है। इसलिए परंपरागत जल प्रणाली को व्यापक रूप से बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।
पानी घेरने के लिए ढलान के तीनों ओर बनाई गई संरचना को ‘आहर’ कहते हैं। ‘पईन’ नहरों के मानिंद है जो आहर में पानी लाती है और खेतों में पानी नहरों द्वारा पहुँचाया जाता है। कोविंद ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत बिहार में गंगा की अविरल और निर्मल धारा सुनिश्चित करने की दिशा में काम करते हुए कृषि विकास को बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘जल प्रबंधन पर खेती का दारोमदार है। यदि बिहार में जल प्रबंधन प्रभावी ढंग से लागू हो जाए तो मुझे लगता है कि अगली हरित क्रांति की जो शुरूआत है उसका गौरव बिहार को मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि बिहार के कई क्षेत्रों में मछली पालन उद्योग के विकास की प्रचुर संभावना है।
(1/2) पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र में माननीय राष्ट्रपति द्वारा तीसरे कृषि रोडमैप का शुभारंभ किया गया।https://t.co/vIeUjhNhKo pic.twitter.com/goPUs69KC0
— Nitish Kumar (@NitishKumar) November 9, 2017
बुधवार किशनगंज में बिहार मत्स्य महाविद्यालय की शुरूआत की गई है। इससे मछली पालन उद्योग में आधुनिक तरीके अपनाने में बहुत मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम सब लोग जानते है कि अप्रैल 2017 से चंपारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है। सचमुच में चंपारण सत्याग्रह किसानों पर ही केंद्रित था। किसानों के हित में नए कृषि रोडमैप को आरंभ करने का यह सर्वोत्तम अवसर है। महात्मा गांधी ने अपने सत्याग्रह के जरिए यही बताया कि किसान ही भारतीय जीवन का केंद्र है। किसान हम सबके अन्नदाता हैं। वे राष्ट्र के निर्माता हैं। उनके विकास के लिए काम करना ही राष्ट्र निर्माण को शक्ति देना है।