बिहार में शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रही है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी सरकार से सवाल-जवाब कर रही है। इसी बीच नीतीश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार के एक ताजा आदेश के अनुसार अब शराब पीने वालों को पुलिस जेल नहीं भेजेगी। उसकी जगह एक नई शर्त पूरी करनी होगी।

राज्य सरकार ने कहा है कि अब पुलिस शराब पीने वालों को जेल नहीं भेजेगी बशर्ते शराबियों को अब शराब तस्करों का पता बताना पडे़ेगा। पता मिलते ही पुलिस शराब तस्करों के अड्डे पर छापा मारेगी और उसे गिरफ्तार करेगी। इस बारे में संबंधित विभागों को भी जानकारी भेज दी गई है।

दरअसल बिहार के जेलों में इन दिनों शराबियों और शराब तस्करों की भरमार है। जिससे कोर्ट और जेल दोनों पर भारी बोझ पड़ा है। कोर्ट में जहां मामलों की सुनवाई के लिए लंबी-लंबी तारीखें दी जा रही हैं, तो वहीं पहले से ही जेलों में भारी भीड़ होने के बाद अब शराबबंदी कानून के तहत और कैदी जेल पहुंच रहे हैं। जिससे जेलों पर भी भारी बोझ पड़ रहा है।

कैदियों की बढ़ती संख्या और बढ़ते मुकदमे को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट भी नीतीश सरकार से सवाल-जवाब करने लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा है कि क्या उसने ये कानून बनाने से पहले अदालती सिस्टम को लेकर कोई अध्ययन किया था? अगर किया था तो क्या सुविधाएं बढ़ाई गईं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिकायाओं के लंबित रहने पर भी चिंता जताई है। इस मामले की अगली सुनवाई आठ मार्च को होगी।

वहीं दूसरी ओर नीतीश सरकार अपनी इस नीति पर अटल है। हालांकि विपक्ष से लेकर उसकी अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा तक शराबबंदी पर सवाल उठा चुकी है। दरअसल बिहार में शराबबंदी कानून भले ही लागू है, लेकिन हर जगह पर अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। कई बार पुलिस भी सवालों के घेरे में आ चुकी है।

अब सरकार शराबबंदी से हुए फायदे यानि कि कितने लोगों ने शराब को छोड़ दिया है, इसका भी सर्वे कराने जा रही है। वहीं शराब तस्करों पर नजर रखने के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर की भी मदद ली जा रही है।