वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने आज तक टीवी चैनल पर कहा कि मैं तो नीतीश कुमार को आउटगोइंड चीफ मिनिस्टर मान चुका हूं, यह अलग बात है कि वह कब जाते हैं। उनसे एंकर अंजना ओम कश्यप ने नीतीश के सातवीं बार सीएम बनने पर प्रतिक्रिया मांगी थी। चावला का कहना था कि बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत कर रही है और चेहरा सामने लाकर उसे तैयार करने की नीति पर काम कर रही है।
चावला की राय में नीतीश कुमार को जल्द ही बदल कर बिहार में बीजेपी का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। बता दें कि एनडीए ने बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को केवल 43 सीटें आईं, जबकि बीजेपी को 74 सीटों पर जीत मिली। परिणाम आने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि वह सीएम की कुर्सी पर दावा नहीं कर रहे, एनडीए जिसे चाहे मुख्यमंत्री बना ले। लेकिन 15 नवंबर को एनडीए की बैठक में नीतीश कुमार को ही इस पद के लिए चुना गया।
बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भविष्य पर प्रभु चावला ने सवाल उठाया तो एंकर अंजना ओम कश्यप ने कहा कि ‘आपने तो बम फोड़ दिया।’ उन्होंने पैनल में मौजूद आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और इससे पहले सक्रिय पत्रकार रहे आशुतोष की प्रतिक्रिया पूछी। आशुतोष की राय कुछ अलग थी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कमजोर मुख्यमंत्री नहीं हो सकते, क्योंकि उनके पास जेडीयू के साथ मिल जाने का विकल्प हमेशा खुला रहेगा और इस विकल्प को जानते हुए बीजेपी उन्हें कमजोर समझने का भूल नहीं करेगी।
आरजेडी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है। उसके 75 विधायक हैं। उसके नेतृत्व वाले गठबंधन में 110 विधायक हैं। नीतीश उधर गए तो गठबंधन में 153 विधायक हो जाएंगे और आसानी से राजद-जदयू गठबंधन की सरकार बन जाएगी।
हालांकि, इस गणित में एक पेंच भी है। आरजेडी के गठबंधन में कांग्रेस के साथ वामपंथी पार्टियां भी हैं। इनके खास कर वामपंथियों के रहते नीतीश आरजेडी खेमे में जाएंगे या नहीं, इस बारे में पुख्ता अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इस गणित के मद्देनजर बीजपी नीतीश के राजद खेमे में जाने की संभावना को ज्यादा मजबूत नहीं भी मान सकती है।
वैसे, अतीत की घटनाओं को देखें तो कुछ भी असंभव है, ऐसा नहीं माना जा सकता। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार आरजेडी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़े और जीते थे। लेकिन कुछ साल सरकार चलाने के बाद आरजेडी से नाता तोड़ते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और बीजेपी से संबंध जोड़ कर कुछ घंटे बाद ही दोबारा सीएम पद की शपथ ले ली थी।
राजनीति में नीतीश कुमार के पलटी मारने के कई और उदाहरण हैं। जिस नरेंद्र मोदी के साथ उन्होंने प्रचार करना गंवारा नहीं किया था, जिन्हें पीएम उम्मीदवार बनाने पर नीतीश ने एनडीए से किनारा कर लिया, उसी एनडीए में वह लौटे और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बाद में चुनाव भी लड़ा।
यही नहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार ने प्रचार करते हुए कहा- यह मेरा आखिरी चुनाव है। लेकिन, चुनाव बाद जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया।