बिहार का बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन कोरोना वायरस की जद में समा गया। कभी वह खुद कहा करता था कि किसी नहीं डरता है, पर शनिवार को यह वैश्विक महामारी उसे भी लील गई। नई दिल्ली के डीडीयू अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। इससे कुछ रोज पहले उसमें कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी। हमारे सहयोगी अखबार ‘दि इंडियन एक्सप्रेस’ को सूत्रों ने सुबह बताया था कि शहाबुद्दीन की स्थिति नाजुक है। डॉक्टर उसे एलएनजेपी अस्पताल शिफ्ट करने पर विचार कर रहे हैं। वहीं, तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने बताया था कि जेल में मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहा शहाबुद्दीन 20 अप्रैल को कोरोना की चपेट में आया था, जिसके बाद उसे डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया गया।

तिहाड़ जेल प्रशासन द्वारा 23 अप्रैल तक मुहैया कराए गए डेटा के मुताबिक, जेल में 227 एक्टिव केस हैं। इनमें जेल के कैदी हैं। 60 स्टाफ के साथ जेल सुप्रिटेंडेंट और दो डॉक्टर भी शामिल हैं। अफसरों ने बताया कि बताया कि अब तक कोरोना से चार मरीजों की मौत हो चुकी है। हाल ही में गैंगस्टर छोटा राजन और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद भी कोरोना से संक्रमित पाए गए थे और ये दोनों भी तिहाड़ जेल में बंद थे। मौजूदा समय में तिहाड़ जेल में 20 हजार कैदी हैं।

वैसे, सीवान से पूर्व RJD सांसद की मौत की खबर तो सुबह ही आ गई थी, पर अलग-अलग बयानों के बीच भ्रम में उसे कुछ लोगों ने अफवाह करार दिया था। समाचार एजेंसी ANI तक ने अलग-अलग जानकारी मिलने का हवाला देते हुए बाहुबली की मौत से जुड़ा ट्वीट डिलीट करते हुए कहा था कि वह आधिकारिक पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, एजेंसी को शहाबुद्दीन की मौत पर उसके परिवार के लोगों और आरजेडी प्रवक्ता से अलग-अलग जानकारी मिली थी।

वहीं, शहाबुद्दीन के वकीलों ने दावा किया कि वह उसे जेल के ऐसे सेल में रखा गया था, जहां पर पॉजिटिव मरीज भी थे। 28 अप्रैल को बाहुबली के वकीलों सलमान खुर्शीद और रणधीर कुमार ने अपनी रिट पीटिशन में दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस प्रभा एम सिंह के सामने कहा था कि क्लाइंट (शहाबुद्दीन) की जान की रक्षा करें। उसके स्वास्थ्य पर नजर रखें और उसे मोबाइल फोन रखने की अनुमति भी मिले, ताकि वह अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ संपर्क में रह सके।

दो बार विधानसभा सदस्य और चार बार सांसद रह चुके शहाबुद्दीन के खिलाफ तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। तिहाड़ जेल में शिफ्ट किए जाने से पहले उसने बिहार की भागलपुर जेल और सीवान जेल में भी काफी वक्त काटा। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उसे सीवान से दिल्ली की तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।

शहाबुद्दीन सबसे अधिक सुर्खियों में सबसे अधिक तब आया था, जब उसने दो भाइयों को तेजाब से नहला कर जिंदा जला दिया था। वैसे, इससे पहले लेफ्ट और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ खूनी मारपीट के चलते वह चर्चा में आया था। यह बात अस्सी के दशक के आसपास की है। आलम यह था कि उसका नाम ही शाबू-AK 47 पड़ गया था। 1986 में जिस हुसैनगंज थाने में इसके खिलाफ पहला केस हुआ था, वहीं यह ए कैटेगरी का हिस्ट्रीशीटर (कभी न सुधरने वाला अपराधी) था।