बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से विवादित बयान दे दिया है। जीतन राम मांझी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पहले तो पंडित समाज के लिए अपशब्द कहे फिर उन्होंने राम को भी काल्पनिक बता दिया। मांझी के इन बयानों को लेकर बिहार में राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है।

शनिवार को एक जातिगत सम्मेलन को संबोधित करते हुए मांझी ने ये बातें कही है। इस कार्यक्रम में जीतन राम मांझी मुख्य अतिथि थे। अपने संबोधन के दौरान मांझी ने अंबेडकर के हवाले से हिन्दू धर्म को भी सबसे खराब धर्म बता दिया। उन्होंने कहा- 1956 में बाबा अंबेडकर मरने के पहले हिन्दू धर्म में नहीं हुए, वो बौद्ध धर्म में होकर उनकी मृत्यु हुई। वो कहे थे कि हिन्दू धर्म इतना खराब धर्म है… आपलोग माफ करिएगा… आजकल हमारे गरीब तबके के लोगों में धर्मपरायणता ज्यादा आ गई है। सत्यनारायण पूजा का नाम हमलोग नहीं जानते थे। अब हर जगह हमलोगों के टोला में सत्यनारायण भगवान की पूजा होती है। पंडित हरामी आते हैं बोलते हैं बाबू नहीं खाएंगे, आप हमको नगद दे दीजिए”।

मांझी यहीं नहीं रुके, पंडित समाज के बाद उन्होंने भगवान राम को भी अपने लपेटे में ले लिया और कह दिया कि राम, भगवान नहीं हैं, वो काल्पनिक हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा- राम को हम नहीं मानते हैं, वो आदमी नहीं था। काल्पनिक है वो…”।

जीतन राम मांझी का ये विवादित बयान जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोग उनकी आलोचना करने लगे। सहयोगी पार्टी बीजेपी के साथ-साथ राजद ने भी इस बयान की आलोचना की है। राजद ने कहा है कि बीजेपी और आरएसएस के साथ रहकर मांझी की भाषा भी वैसी ही हो गई है। वहीं बिहार बीजेपी के नेता नितिन नवीन ने कहा कि मांझी वरिष्ठ नेता हैं, उन्हें इस प्रकार का बयान नहीं देना चाहिए। उधर पंडित समाज, मांझी से माफी मांगने को कह रहा है।

विवाद बढ़ने के बाद जीतन राम मांझी ने माफी तो नहीं मांगी लेकिन सफाई जरूर दे दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ब्राह्मण भाईयों को लेकर मेरे वीडियो के उतने ही अंश को वायरल किया जा रहा है, जिससे विवाद उत्पन्न हो, सत्यता जानने के लिए वीडियो को पूरा सुनने की आवश्यकता है। मेरे दिल में समाज के हर तबके के लिए उतनी ही इज्जत है जितना मैं अपने परिवार के लिए करता हूं।