बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी राजनीतिक दल इसकी तैयारी में जुटे हुए हैं। इस चुनाव में लालू यादव की पार्टी आरजेडी का बदला हुआ अंदाज लोगों को खूब पसंद आ रहा है। आरजेडी AI जेनरेटेड वीडियोज का इस्तेमाल अपने विरोधियों पर निशाना साधने के लिए कर रही है। इसी क्रम में AI-जनरेटेड वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक ढहे हुए पुल की तस्वीर में आंधी-तूफान के बीच बारिश में नाचते हुए दिखाया गया है। एक गाना ‘जुमलों की बारिश’ के साथ वीडियो बनाया गया है, जो उनके शासन का मज़ाक उड़ा रहा है। इसमें आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को एक बूढ़ी महिला को एक भारी टोकरी उठाने में मदद करते हुए भी दिखाया गया है। आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने इस क्लिप को पोस्ट किया।
आरजेडी ने अपनाया नया तरीका
आरजेडी का यह वीडियो बिहार में चुनाव प्रचार की कला में आए बदलाव को दर्शाता है। AI के जरिए ये दृश्य RJD के पारंपरिक चुनाव प्रचार से बिल्कुल अलग है, जो लालू प्रसाद के देहाती भाषण, ज़मीनी हास्य और जातिगत प्रतीकों से परिभाषित होता है। लालू को किसी एल्गोरिदम की ज़रूरत नहीं थी, उनका जनसंपर्क ग्रामीण चुटकुलों से भरा था। अब तेजस्वी यादव के नेतृत्व में RJD ने बिहार विधानसभा चुनावों के लिए एक नया डिजिटल-अभियान तैयार किया है, जो डेटा, मीम्स और एल्गोरिदम पर आधारित है।
दरअसल चुनाव प्रचार का स्वरूप बदल गया है क्योंकि मतदाता बदल गए हैं। बिहार डेमोग्राफी के लिहाज से भारत के सबसे युवा राज्यों में से एक है, जहां स्मार्टफोन की पहुंच तेज़ी से बढ़ी है। आरजेडी प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता कहते हैं, “अब हर घर में एंड्रॉइड फोन है। हर युवा, पुरुष हो या महिला, वीडियो देख रहा है। इसलिए एआई वीडियो के माध्यम से हम अपनी विचारधारा, विचारों और वादों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।”
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तेजस्वी का नीतीश पर तंज
तेजस्वी का अभियान पीढ़ीगत बदलाव की वकालत करता है, जो पार्टी के संदेश में झलकता है। तेजस्वी ने एक पोस्ट में 9 बार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा, “बिहार में 20 साल पुराना वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। फिर 20 साल पुरानी नीतीश सरकार क्यों?” आरजेडी की सोशल मीडिया टीम ने इस नारे को डिजिटल रूप देने में ज़रा भी देर नहीं लगाई। एआई द्वारा तैयार किए गए एक कार्टून में एक पुरानी, खड़खड़ाती कार (जिस पर “नीतीश के 20 साल” लिखा था) को तेजस्वी के नेतृत्व का प्रतीक एक चमचमाती नई गाड़ी ने पीछे छोड़ दिया।
एआई वीडियो में दो महिलाओं को महंगाई के बारे में बात करते हुए दिखाया गया है, जबकि तेजस्वी नकद सहायता और 500 रुपये के सिलेंडर के ज़रिए उनकी ज़िंदगी आसान बनाने का वादा करते हुए आते हैं। एक अन्य AI ग्राफ़िक में, नीतीश को एक मॉक परीक्षा क्लास में तेजस्वी के पेपर से नकल करते हुए दिखाया गया है, जो बाद में सरकार द्वारा घोषित वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाने के तेजस्वी के वादे का संदर्भ था। हाल ही में एक एआई वीडियो में तेजस्वी को अंबेडकर के साथ चलते हुए दिखाया गया था। डिजिटल विज़ुअल रूप में संदेशों की ऐसी पैकेजिंग तेजस्वी के अभियान की पहचान बन गई है।
लालू के प्रसिद्ध चुटकुलों का पार्टी कर रही इस्तेमाल
एक अन्य डिजिटल पहल में आरजेडी की टीम एआई का उपयोग करके पुराने लालू चुटकुलों को नए सिरे से तैयार कर रही है। लालू के प्रसिद्ध चुटकुलों के पुराने फुटेज लेकर, मशीन लर्निंग टूल्स का उपयोग करके उनकी ऑडियो और वीडियो क्वालिटी को बेहतर बनाया जा रहा है और फिर उन्हें लोगों को लालू के जादू की याद दिलाने के लिए प्रसारित किया जा रहा है। पार्टी का मानना है कि इससे बुजुर्ग मतदाता पुरानी यादों में खो जाएँगे और साथ ही युवा मतदाताओं का मनोरंजन भी होगा।
आरजेडी का डिजिटल अभियान जितना संदेश पर केंद्रित है, उतना ही दिखावे पर भी। सुबोध मेहता कहते हैं, “हमारा अभियान पार्टी की विचारधारा और संगठनात्मक शक्ति पर आधारित है। जनता तक पहुँचने के लिए तकनीक का उपयोग हमारा तीसरा स्तंभ है। RJD के ज़मीनी कार्यकर्ताओं का नेटवर्क इसे ऑफ़लाइन गहराई प्रदान करता है, जबकि तकनीक युवा और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं तक पहुंच प्रदान करती है।”
सुबोध मेहता कहते हैं, “हमने आंकड़ों के ज़रिए दिखाया है कि कैसे नीतीश जी के राज में अपराध का ग्राफ़ आसमान छू रहा है। हमने यह भी दिखाया है कि नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कार्यकाल में बिहार की प्रति व्यक्ति जीडीपी और राष्ट्रीय जीडीपी के बीच का अंतर और भी बढ़ गया है।”
राजद ने ‘तेजस्वी डिजिटल फ़ोर्स’ भी शुरू किया है, जो अभियान कंटेंट वितरित करने और गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए एक तकनीक-प्रेमी स्वयंसेवी नेटवर्क है। सुबोध मेहता आगे कहते हैं, “पार्टी में एक रिसर्च टीम है, जो ठोस आंकड़ों के आधार पर हमारे जवाबों पर काम कर रही है।” इस डिजिटल टीम में युवा सदस्य और आउटसोर्स कंसल्टेंट शामिल हैं।
भाजपा ने दिया जवाब
आरजेडी के ‘जुमलों की बरसात’ वाले क्लिप के कुछ ही दिनों बाद भाजपा के एक्स हैंडल ने ‘गैंग्स ऑफ घोटालेबाज’ टाइटल से एक एआई-जनरेटेड वीडियो गाना पोस्ट किया। इस पैरोडी वीडियो में लालू परिवार को “घोटालों का सरगना” बताया गया है। आरजेडी के तीखे हमलों के विपरीत भाजपा के पोस्ट ज़्यादा संयमित रहे हैं, और एनडीए सरकार की उपलब्धियों को दर्शाने पर केंद्रित रहे हैं।
जेडीयू डिजिटल आउटरीच को अपनाने वालों में सबसे आगे रहा है। 2020 के महामारी प्रभावित बिहार चुनावों के दौरान, जब फिजिकल रैलियां सीमित थीं, तब पार्टी ने वर्चुअल रैलियाँ और व्हाट्सएप अभियान चलाए। नीतीश की टीम ने ‘नया बिहार, नई सोच’ नामक एक अभियान में 300 से ज़्यादा ऑनलाइन स्थानीय प्रभावशाली लोगों के साथ भी सहयोग किया।
कुछ महीनों में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले, जेडीयू का सोशल मीडिया कंटेंट नपी-तुली सी लग रही है। पार्टी पिछले पांच सालों में बने पुलों या स्कूलों पर अधिक पोस्ट कर रही है और विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों का लेखा-जोखा पेश कर रही है। आरजेडी की एक प्रमुख सहयोगी, कांग्रेस ने अपने ऑनलाइन अभियान को तेजस्वी के प्रचार के साथ तालमेल बिठाने का विकल्प चुना है।
जानें अन्य दल क्या कर रहें
चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) और एनडीए के अन्य छोटे सहयोगी दल जैसे जीतन राम मांझी की हम (सेक्युलर) या उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम भी सोशल मीडिया हैंडल बनाए हुए हैं, जिनके फ़ॉलोअर्स की संख्या मामूली है। हालांकि जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर नियमित रूप से गांवों में लोगों से मिल रहे हैं, लेकिन उनके सोशल मीडिया हैंडल इन बातचीतों को तीखे मीम्स के बजाय लंबे वीडियो के रूप में पोस्ट करते हैं।
बिहार में चुनावी माहौल गर्म होने के साथ आरजेडी द्वारा ज़मीनी नारेबाज़ी और डिजिटल प्रचार का तालमेल, जन-जन तक पहुँचने में एक पीढ़ीगत और रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है। अपने कार्यकर्ताओं और विचारधारा पर सवार होकर, पार्टी अब अपने पारंपरिक आधार से परे मतदाताओं से जुड़ने के लिए एआई वीडियो, मीम्स और डेटा का भी सहारा ले रही है। सुबोध मेहता कहते हैं, “तेजस्वी जी हमेशा युवाओं की बात करते हैं और हम विभिन्न उपलब्ध माध्यमों से उन तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं।”
