महागठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस के उम्मीदवारों को विपक्षी दलों के साथ-साथ अपने दल के नेताओं से भी दो-चार होना पड़ सकता है। पार्टी ने इस बार इन सीटों पर पुराने विधायकों की जगह पर नए चेहरों को उतार दिया है। इस वजह से ये सीटें महागठबंधन के लिए चुनावी घेराबंदी की सबसे अहम सीट बन गई है।
इन सीटों पर कांग्रेस की नैया पार लगाना ही नए उम्मीदवारों की सबसे बड़ी चुनौती होगी। इस पूरे समीकरण में सबसे दिलचस्प बात यह है 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर अपनी जीत दर्ज कराई थी। कांग्रेस पार्टी ने इस बार जिन सीटों से अपने विधायक का नाम बदला है। उन सीट में किशनगंज, कस्बा, खगड़िया की सीटें शामिल हैं। इसके अतिरिक्त एक सीट जलालपुर गठबंधन के सहयोगी दल के खाते में गई है।
पिछले चुनाव में ओवैसी की पार्टी से थे मैदान में
इस सीटों में सबसे अहम सीटों में किशनगंज सीट शामिल हैं। इस सीट पर से कमरुल होदा को टिकट दिया है, इससे पहले यहां पर इजहारुल हुसैन विधायक थे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, होदा बीते चुनाव में इस सीट से लड़े थे और यह एआइएमआइएम से तीसरे पायदान पर थे, इसके बाद भी कांग्रेस ने इस उम्मीदवार को अपना चेहरा बनाया है। इसी प्रकार कांग्रेस पार्टी ने खगड़िया विधानसभा सीट पर भी अपने इकलौते यादव चेहरे को बदला है। यहां पर कांग्रेस के पास छत्रपति यादव विधायक थे और 2020 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने यहां करीब तीन हजार मतों से जीत दर्ज कराई थी।
पिछले चुनाव में 11 सीटों पर एक हजार से कम था मार्जिन, यहां मात्र 12 वोट से हारा था राजद उम्मीदवार
कस्बा विधानसभा क्षेत्र भी ऐसी ही विधानसभा सीटों में शामिल है। इस सीट से कांग्रेस पार्टी ने इरफान आलम को टिकट दिया है। जबकि इस सीट पर बीते दो चुनाव से मोहम्मद आफाक आलम चुनाव जीतते रहे हैं। इसी प्रकार जलालपुर विधानसभा सीट भी कांग्रेस के पास नहीं रहकर सहयोगी दल के पास चली गई है। इस सीट पर कांग्रेस ने अजय कुमार को चुनाव मैदान में उतारा था।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस ने 19 विधानसभा सीटों पर अपनी जीत दर्ज कराई थी। इन सीटों में से भी दो विधायक पार्टी को छोड़ गए थे और इन विधायकों ने सत्तारुढ़ भाजपा के सहयोगी दल और एक अन्य दल की सदस्यता ली थी। इन सीट में विक्रम और चेनारी विधानसभा सीट शामिल हैं। इस प्रकार कांग्रेस के खजाने में इस समय 17 ही विधायक थे, जिसमें से भी कई सीटों पर कांग्रेस ने नए चेहरों को मैदान में उतारा है।
30 अक्टूबर के बाद अपने ही नेता खोलेंगे पोल
कांग्रेस के इस टिकट बंटवारे को लेकर बिहार में बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के उम्मीदवारों को एक अजीबोगरीब स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। जिसमें इस टिकट बंटवारे से नाराज 30 अक्तूबर के बाद पार्टी के उम्मीदवारों की पोल खोलते नजर आएंगे। कांग्रेस नेता आनंद माधव ने कहा कि अभी तक वे लगातार पार्टी के पदाधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर पार्टी उनका पक्ष नहीं सुनती है, तो उन्हें मजबूरन पार्टी के खिलाफ एक मंच पर आना होगा।
