Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले परबत्ता से विधायक संजीव कुमार आरजेडी में शामिल हो गए हैं। पेशे से डॉक्टर संजीव कुमार पर पिछले साल फ्लोर टेस्ट के दौरान जेडीयू विधायकों को विपक्ष के पाले में लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया था। साथ ही उन्होंने एसआईआर पर भी सवाल उठाए थे। तेजस्वी यादव की पार्टी में उनका शामिल होने कोई हैरान करने वाली बात नहीं है।
जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ” संजीव कुमार पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। हालांकि, हमने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन यह साफ हो गया है कि वह अब पार्टी का हिस्सा नहीं हैं।” पिछले साल से संजीव कुमार का जेडीयू के साथ कई बार टकराव हो गया है। फरवरी 2024 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा सदन में बहुमत साबित करने के बाद संजीव कुमार के लिए मुश्किलें बढ़ गईं।
जेडीयू विधायक ने खरीद-फरोख्त में मदद करने का लगाया था आरोप
हरलाखी से नीतीश कुमार की पार्टी के विधायक सुधांशु शेखर ने उन पर खरीद-फरोख्त में मदद करने का आरोप लगाया। इसके बाद ईओयू ने विधायक के खिलाफ केस दर्ज किया और इसकी जांच अभी भी जारी है। उन्होंने एसआईआर के खिलाफ भी आवाज उठाई। जब चुनाव आयोग के अभियान पर विपक्ष ने हमला बोला, तो संजीव कुमार ने दावा किया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में कई गरीब लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए हैं। उन्होंने उन्होंने जुलाई में कहा, “मृतकों के नाम हटाना जायज है। लेकिन गरीबों और मजदूरों के नाम हटाना पूरी तरह से गलत है, क्योंकि उन्हें ऑनलाइन आवेदन करना नहीं आता।”
कौन हैं संजीव कुमार
एक प्रमुख भूमिहार नेता माने जाने वाले संजीव कुमार, चार बार के जेडीयू विधायक और पूर्व राज्य मंत्री रामानंद प्रसाद सिंह के बेटे हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में पर्दापण करने से पहले कुमार अपने पिता के साथ मिलकर काम कर रहे थे। परिवार का पटना में एक हॉस्पिटल भी है। हाल ही में शक्ति प्रदर्शन के तौर पर उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में भूमिहार समुदाय की एक मीटिंग भी आयोजित की थी।
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आरजेडी में शामिल होने के बाद परबत्ता के विधायक ने कहा, “जेडीयू अब वह पार्टी नहीं रही जो पहले हुआ करती थी, क्योंकि नीतीश कुमार का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसके उलट तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी भविष्य के लिए बहुत आशाजनक है।”
संजीव कुमार का सरकार के साथ टकराव
पिछले साल फ्लोर टेस्ट के बाद से ही संजीव कुमार का सरकार के साथ कई बार टकराव हो चुका है। गंगा नदी पर अगुआनी (खगड़िया)-सुल्तानगंज (भागलपुर) पुल के जरिये इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाने वाले विधायक ने पुल के ढहने पर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने अगस्त 2024 में एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “अगुआनी सुल्तानपुर में गंगा पर निर्माणाधीन पुल तीसरी बार ढह गया है। पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। मैं बार-बार कह रहा था कि यह फिर से ढह जाएगा, लेकिन आज तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
संजीव कुमार आगामी विधानसभा चुनाव में आरजेडी की तरफ से परबत्ता से टिकट देने की उम्मीद कर रहे होंगे। यहां पर उनका अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है। यह सीट सम्राट चौधरी ने 2000 और 2010 में आरजेडी के टिकट पर जीती थी। चौधरी बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। एक आरजेडी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “वह एक नया सामाजिक समीकरण बनाकर आगामी चुनावों में आरजेडी को परबत्ता सीट जिताने में मदद कर सकते हैं। वह ओबीसी, ईबीसी और एससी वोटों के अलावा भूमिहार वोटों के एक बड़े हिस्से को हमारे पक्ष में कर सकते हैं।”