बिहार चुनाव के दौरान मुजफ्फरपुर में इस बार जदयू की राह मुश्किल दिखाई पड़ रही है। जिले के ग्रामीणों में राज्य सरकार के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर रोष है। मुजफ्फरपुर जिला हाल में आई बाढ़ के कारण सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में शामिल था।
बिहार में बाढ़ से 16 जिलों में करीब 17 लाख लोग प्रभावित हुए थे। राज्य में गंडक और बूढ़ी गंडक जैसी नदियों से पानी उफन कर खेतों और घरों में भर गया था। राम पुकार ठाकुर के पीछे, एक तालाब प्रतीत होता है। उसमें हरे रंग की कुछ फसल का हिस्सा दिखाई दे रहा है। चारों ओर, जहां तक नजर जाती है, एक समान ताल हैं। बीच में से गांव वालों ने जाने के लिए पैदल रास्ता बनाया हुआ है। यह पानी चार महीने से भरा हुआ है।
स्थानीय निवासी राम पुकार ठाकुर कहते हैं, यह तालाब नहीं मेरा खेत है। बाढ़ के बाद से मुजफ्फरपुर जिले सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वहीं, नीतीश कुमार सरकार का कहना है कि उसने राज्य भर में 20 लाख लोगों के बैंक खातों में 1,000 करोड़ रुपये डाले हैं। संकट में लोगों की मदद करने के लिए प्रति परिवार 6,000 रुपये दिए गए।
कोरीगामा ब्लॉक के सिसवां गांव में अपने खेत के बगल में खड़े, ठाकुर कहते हैं कि मई में, उन्होंने हाइब्रिड बीज, उर्वरक और ट्रैक्टर पर पैसा खर्च किया था। “सब बर्बाद हो गया। पानी खेतों में घुस गया और सूखा भी नहीं। इसलिए मैं कुछ भी नया नहीं लगा सकता हूं। उसने कहा अधिकारी आए और ग्राम मित्र को बुलावाया और तस्वीरें ली गईं।
ठाकुर कहते हैं कि लेकिन अन्य गांवों के उलट उनके इलाके को बाढ़-प्रभावित घोषित नहीं किया।” गांव के ही 19 वर्षीय चंदन कुमार साफ तौर पर इस बाद बदलाव की बात कहते हैं। चंदन ने कहा कि मुझे यह मुख्यमंत्री पसंद नहीं है। अब हम एक युवा नेता चाहते हैं। वे बेरोजगारी की समस्याओं को समझेंगे। बाढ़ के इन हालातों को भी समझेंगे जिन्होंने स्थिति को बदत्तर बना दिया है।
आमतौर पर, युवा रमेश साह मजदूर के रूप में काम खोजने के लिए आस-पास के क्षेत्रों में चले जाते थे। लेकिन इस साल, वह काम भी उपलब्ध नहीं है। “मुजफ्फरपुर में कोई काम नहीं है। रमेश कहते हैं कि हमारे परिवारों में, कई लोग थे जो शहरों में रहते थे और पैसे घर भेजते थे। लेकिन लॉकडाउन में, वह बंद हो गया। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने कर्ज लिया है, हम नहीं जानते कि हम कैसे चुकाएंगे।