Bihar Chunav 2025: बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने बीजेपी के नए चेहरे के तौर पर पिछले बुधवार को छोटी कुमारी के समर्थन में छपरा विधानसभा क्षेत्र के रेवेलगंज ब्लॉक के समरिया में एक रैली की थी। ठीक उसी समय मुश्किल से 2 किमी दूर आरजेडी प्रत्याशी खेसारी लाल यादव क्षेत्र की गलियों में रोड शो कर रहे थे, उनके रोड शो में भारी भीड़ दिख रही थी।
चुनाव प्रचार के दौरान खेसारी लाल यादव की गाड़ी का काफिला जिगना तिवारी टोला गांव पहुंचा, एक लड़का चिल्लाया, ‘खेसारी आ गए!’ कुछ ही मिनटों में लोग उन्हें देखने के लिए अपने घरों से बाहर निकल आए। सफेद शर्ट पहने 39 वर्षीय खेसारी अपने वाहन की सनरूफ से बाहर निकले, हाथ हिलाया, झुके और लोगों का अभिवादन करते हुए हाथ जोड़ लिए।
खेसारी के लिए लोगों में दीवनागी
खेसारी लाल यादव के लिए लोगों में खूब दीवागनी दिखी। कुछ ग्रामीण तो खेसारी को देखने के लिए कूड़े के ढेर तक पर चढ़ गए। रिटायर्ड सैन्य कर्मी रबुद्दीन ने बताया कि आज कई स्थानीय लोग सिर्फ खेसारी लाल को देखने के लिए काम छोड़कर आए हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनमें से ज्यादा दिहाड़ी मजदूर हैं।
जब काफिला गुजर गया तो लोगों का उत्साह कम हो गया। रबुद्दीन ने टूटी सड़क की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये सड़क पांच साल पहले चुनाव के ऐलान से कुछ पहले बनाई गई थी। गाँव के वार्ड 8 में दलित रहते हैं, वहां उनके मिट्टी की दीवारों और मिट्टी की टाइलों वाले छोटे-छोटे घर हैं। कुछ घर बांस और घास-फूस से बने हैं। उनके चारों ओर गड्ढों में पानी भरा हुआ है।
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दलितों के लिए हैं बहुत समस्याएं
खेसारी लाल यादव ने कहा कि इस बस्ती में पानी की निकासी का कोई उचित प्रबंध नहीं है। सभी छोटी बस्तियों को जोड़ने के लिए एक केंद्रीय नाला बनाया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। कंकरीट के स्लैब से ढके आधे-अधूरे केंद्रीय नाले की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इसका कोई निकास नहीं है। निर्माण बीच में ही रोक दिया गया, मुखिया ने दावा किया कि इसे पूरा करने के लिए कोई पैसा नहीं बचा है।
28 साल के पप्पू राम नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि जब बारिश होती है, तो नालियां ओवरफ्लो हो जाती है और पानी घरों में घुस जाता है। जाम नालियां मच्छरों के पनपने कारण बनती हैं। सच कहें तो पहले हालात बेहतर थे लेकिन अब निर्माण इतना खराब हुआ है, कि उसे तुरंत तोड़ देना चाहिए।
लोगों ने जताई नेताओं से नाराजगी
28 वर्षीय कुंदन कुमार ने कहा कि ये दलितों की बस्ती है। यहां न नेता आते हैं, न उनका विकास। उन्होंने पिछले चुनावों से पहले हर घर नल योजना के तहत बिछाई गई पानी की पाइप लाइन की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि करीब सौ घरों को एक ही बोरवेल से जोड़ा गया। उसमें कोई प्रेशर नहीं है। लगभग आठ घरों तक 10-20 मिनट में पानी पहुँचता है। ज़्यादातर परिवार अभी भी हैंडपंप पर निर्भर हैं।
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अशोक राम ने कहा कि दिहाड़ी मजदूर होने के नाते हमें महीने में 5 से 10 दिन काम मिलता है, जिससे हम प्रतिदिन 400 से 600 रुपये कमा लेते हैं। उन्होंने बताया कि महिलाएं भी परिवार की आय बढ़ाने के लिए आस-पास के खेतों में काम करती हैं, फसल बोती हैं या कृषि कार्य में मदद करती हैं, लेकिन “वे प्रतिदिन केवल 100 रुपये ही कमा पाती हैं।
नीतीश कुमरा के प्रति फिर भी समर्थन
एक महिला निवासी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि कुछ सौ मीटर की दूरी पर वार्ड 9 में ऊंची जाति के परिवार रहते हैं। हमारे लिए बनी योजनाएँ भी वहीं भेज दी जाती हैं। हमारी बस्ती में एक भी सोलर स्ट्रीट लाइट नहीं है। जानकी देवी, रेणु देवी और सुशीला देवी जैसी कुछ अन्य दलित महिलाओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है ।
जानकी ने कहा कि हमें अभी तक 10,000 रुपये की सहायता राशि भले ही न मिली हो, लेकिन नीतीश जी ने महिलाओं के लिए बहुत कुछ किया है। बस जल निकासी और पानी की कुछ समस्याएं हैं, एक बार ये ठीक हो जाए, तो सब ठीक हो जाएगा। रेणु ने कहा कि गैस सिलेंडर और मुफ्त राशन, ये सब नीतीश और मोदी द्वारा प्रदान किया जा रहा है।
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कभी कहलाता था लालू का किला
सारण ज़िले की छपरा सीट पर 6 नवंबर को पहले चरण में मतदान होना है। यह सीट पारंपरिक रूप से यादवों और राजपूतों का दबदबा रही है, और वैश्य और मुस्लिम मतदाताओं की भी अच्छी-खासी संख्या है। पूर्ववर्ती छपरा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने 1977 से 2009 के बीच चार बार किया था। हालाँकि, यहां पार्टी का प्रभाव कम होता जा रहा है।
2005 से छपरा विधानसभा क्षेत्र बीजेपी या उसके सहयोगी जदयू द्वारा जीता जाता रहा है। सारण लोकसभा सीट, जिसके अंतर्गत यह सीट आती है। 2014 से भाजपा के राजीव प्रताप रूडी के पास है। पांच बार सांसद रहे रूडी ने अब सारण जीतने के लिए लालू के दो रिश्तेदारों को हराया है। छपरा सीट बरकरार रखने के लिए बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक सीएन गुप्ता की जगह एक नए उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। यह समझदारी भरा फैसला हो सकता है क्योंकि छपरा के स्थानीय लोगों ने गुप्ता के प्रदर्शन से असंतोष जताया था।
विधायक के प्रति नाराजगी
रबुद्दीन ने कहा कि हमने उन्हें (विधायक) 2020 के चुनावों के बाद से नहीं देखा है। दो बार विधायक रहे गुप्ता ने 2020 में राजद के रणधीर कुमार सिंह को मात्र 6,771 मतों से हराया था। उनकी जगह लेने वाली 35 वर्षीय छोटी कुमारी भी वैश्य समुदाय से हैं। भले ही यह उनका पहला चुनाव हो, लेकिन वे कोई अनजान चेहरा नहीं हैं। कुछ स्थानीय लोग ज़िला परिषद अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कोई विकास कार्य न करने के लिए उनकी आलोचना करते हैं।
