जोकीहाट विधानसभा सीट, बिहार चुनाव 2025: बिहार के सीमांचल इलाके में मुस्लिम मतदाताओं का ही दबदबा है। क्षेत्र के बड़े मुस्लिम नेता रहे मोहम्मद तस्लीमुद्दीन जोकीहाट विधानसभा से पांच बार विधायक रहे। इसके अलावा वो लोकसभा के सदस्य रहते हुए केंद्र सरकार में दो बार केंद्रीय मंत्री बने। अब उनकी अगली पीढ़ी उनकी विरासत की लड़ाई लड़ रही है। चाहें जेडीयू हो या आरजेडी दोनों ही पार्टियों से तस्लीमुद्दीन के बेटे ही यहां से चुनाव जीते। पीछे चुनाव में तो AIMIM उम्मीदवार के तौर पर शाहनवाज आलम चुनाव जीते, लेकिन बाद में वो पार्टी बदलकर आरजेडी में आ गए। जबकि उनके भाई और पूर्व विधायक सरफराज आलम पिछले चुनाव में राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में थे। फिलहाल सरफराज आलम खुद की पार्टी सीमांचल विकास मोर्चा के बैनर तले दावेदारी की तैयारी में हैं।

साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव की बात करे तो अररिया जिले की जोकीहाट सीट से हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से शाहनवाज आलम ने जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में शाहनवाज अपने ही भाई सरफराज आलम के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए जीत दर्ज की थी। सरफराज राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में थे। जबकि बीजेपी ने यहां से रंजीत यादव को उम्मीदवार बनाया था। जहां शाहनवाज को 59,596 वोट मिले तो वहीं सरफराज को 52,213 और रंजीत को 48,933 वोट मिले।

जेडीये के तौर पर सरफराज दो बार बने विधायक

साल 2015 के बिहार चुनाव की बात करें तो जोकीहाट विधानसभा से जेडीयू के टिकट पर सरफराज आलम चुनाव जीते थे। इस बार में आरजेडी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जिसका फायदा मिला और आलम ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की। आलम को जहां 92,890 वोट मिले थे तो वहीं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे रणजीत यादव को 38,910 वोट मिले थे।

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जबकि साल 2010 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जोकीहाट से जेडीयू उम्मीदवार सरफराज आलम को जीत मिली थी। इस चुनाव में आलम को 44,027 वोट मिले थे। जबकि निर्दलीय उम्मीदवार कौशर जिया ने 18,697 वोट प्राप्त किए थे। वहीं आरजेडी के अरुण यादव को 15,053 वोट मिले थे।