बिहार में एनडीए और महागठबंंधन दोनों गुटों में सीटों के बंटवारे के लिए बातचीत चल रही है। महागठबंधन में कांग्रेस और विकासशील इंसान पार्टी जैसे सहयोगी अब अपनी मांगों पर और जोर देने लगे हैं।यह मांग तब हो रही है, जब महागठबंधन में दो और पार्टियों – पशुपति कुमार पारस की राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJP) और हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के जुड़ने की संभावना। अगर ऐसा होता है तो महागठबंधन में सीटों का बंटवारा और ज्यादा पेचीदा हो जाएगा।

कांग्रेस इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में कम से कम 70 सीटों की मांग कर रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन तब वह सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई थी। इस चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर किस्मत आजमाई थी, उसे 75 सीटों पर जीत मिली थी। 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।

इस चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की थी। तब महागठबंधन की हार के लिए मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी के खराब स्ट्राइक रेट को वजह माना गया था। हालांकि सूत्रों ने बताया कि राहुल की वोटर अधिकार यात्रा में जुटी भीड़ से उत्साहित कांग्रेस ने एक नया अध्याय शुरू करने की कोशिश में “जीतने योग्य सीटों” सहित अपने “सम्मानजनक हिस्से” के लिए सौदेबाजी तेज कर दी है।

राजद पर कैसे दबाव बना रही कांग्रेस?

बिहार में राजद जहां एक तरफ सीएम पद पर दावा खुलकर जता रही है तो वहीं दूसरी तरफ बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस नेता और बिहार के प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने  कहा कि “बिहार की जनता ही मुख्यमंत्री का फैसला करेगी”। अल्लावरु की इस टिप्पणी को राजनीतिक हलकों में राजद को सतर्क रखने की कांग्रेस की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

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बिहार कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “हमारे टॉप नेताओं ने हाल के राजनीतिक अभियानों, खासकर वोट अधिकार यात्रा के जरिए हमारे बिहार कैडर में नई जान फूंक दी है। हम एक एकजुट गठबंधन के रूप में भी उभर पाए हैं। राजद को हमारे साथ सम्मान से पेश आना चाहिए, जिसके हम एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते हकदार हैं। राजद को 2024 के लोकसभा चुनाव में राजद की चार सीटों के मुकाबले कांग्रेस की तीन सीटें जीतने पर भी गौर करना चाहिए। 2020 के विधानसभा चुनाव में हमारा प्रदर्शन सीटों के बंटवारे का एकमात्र पैमाना नहीं हो सकता।”

अल्लावरु ने यह भी कहा कि नए सहयोगियों को शामिल करने के लिए, महागठबंधन के सभी दलों को अपनी सीटें छोड़ने को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि “अच्छी” और “बुरी” सीटों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।

अगले हफ्ते महागठबंधन की बैठक

सूत्रों के अनुसार, सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए अगले हफ्ते होने वाली महागठबंधन की अहम बैठक से पहले वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने भी राजद पर दबाव बढ़ाते हुए खुद को उप-मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है। मुकेश सहनी 60 सीटों की भी मांग कर रहे हैं, हालांकि माना जा रहा है कि वह 20-25 सीटों पर ही राजी हो सकते हैं।

राजद के एक नेता ने कहा, “हमने वीआईपी को 2024 के चुनावों में लड़ने के लिए तीन लोकसभा सीटें दी थीं। इस आधार पर मुकेश सहनी को 18-20 सीटों का दावेदार होना चाहिए। अब सवाल यह है कि उन्हें कैसे एडजस्ट किया जाए – हर सहयोगी को अपने हिस्से से कुछ देना होगा। कांग्रेस के तेवर अच्छे नहीं हैं, यहां तक कि ऐसा लगता है कि उसे हमारे नेता तेजस्वी को गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करने में भी हिचकिचाहट है।”

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